होशंगाबाद. नई रेत नीति के बाद पहली बार प्रदेश सरकार ने जिला समूहवार जारी टेंडरों की वित्तीय निविदा खोल दी। पहले चरण में 36 जिलों में रेत से 1234.5 करोड़ रुपए की आमदनी होगी जो ऑफसेट मूल्य 448 कराेड़ से लगभग तीन गुना है। सबसे महंगा ठेका होशंगाबाद (पूरा जिला एक समूह है) का 217 करोड़ रुपए में तेलंगाना की पॉवरमेक प्रोजेक्ट कंपनी के हिस्से में गया है। इतना ही नहीं, दूसरे नंबर पर सीहोर (109 कराेड़ रु.) और तीसरे नंबर पर भिंड (82 कराेड़ रु.) रहा। यहां भी इसी कंपनी ने ठेका लिया है। यानी इस कंपनी ने मप्र की कुल रेत सप्लाई के एक तिहाई (33%) हिस्से पर अपना कब्जा कर लिया। नई खदानें तीन साल के लिए दी जा रही हैं। शेष|पेज 2 पर
रेत पर एकाधिकार होने से महंगी का डर है। खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने कहा रेत महंगी नहीं होने देंगे। सरकार बराबर ध्यान देगी। शेष|पेज 2 पर
एक ही सप्लायर होने के इफैक्ट
रेत महंगी होने की आशंका : रेत कारोबार पर एकाधिकार जैसी स्थिति के बाद आम खरीदारों को महंगी रेत खरीदना पड़ सकता है। कारण, अब प्रत्येक जिले में एक ही ठेकेदार/कंपनी रेत की सप्लाई करेगी। हालांकि गरीबों के आवासों के लिए प्रदेश सरकार राहत देने की नीति लाई है।
ज्यादा राजस्व देने वाले टॉप-5 जिले
217
250
200
150
100
50
1234 करोड़ में से 675 कराेड़ 7 जिलों से मिलेंगे
पहले चरण के आंकड़े देखे तो सबसे ज्यादा राजस्व 36 जिलों में से 7 प्रमुख जिलाें से 675 कराेड़ रुपए का राजस्व आएगा, अन्य 29 जिलाें से सरकार काे 559 कराेड़ रुपए मिलेंगे।
सरकार ने कहा- रेत महंगी नहीं होने देंगे
चोरी, ओवरलोडिंग रुकेगी : अभी रेत अलग-अलग स्थानों से चोरी होती है। इसे रोकने के लिए ठेका कंपनी खुद की व्यवस्था करेगी क्योंकि चोरी से उसी को नुकसान होगा। ओवरलोड चलने वाले डंपरों की समस्या भी खत्म होगी क्योंकि अब मापकर ही रेत दी जाएगी।
109
82
(रािश करोड़ में)
76
छोटे ठेकेदार दौड़ से बाहर : पूर्व में प्रदेश में खदानवार ठेका दिया जाता था, नई रेत नीति लाकर सरकार ने इस सिस्टम को खत्म कर दिया। अबकी बार प्रत्येक जिले को एक समूह मानकर एक ही ठेकेदार/कंपनी को ठेका दिया जा रहा है। इससे छोटे सप्लायरों पर संकट हो गया है। कई ठेके विधायक व अन्य नेता परिवारों के भी थे व सामान्य छोटे ठेकेदारों को परेशानी होना निश्चित है बडी कंपनियों से सेटिंग का मामले कि संभावना से इंकार नही किया जा सकता है।