<no title>बाबरिया तालाब कायाकल्प की जरूरत

(अखिलेश दुबे)


सिवनी (साई)। ब्रितानी गोरों के जमाने में लगभग 115 साल पहले बनाये गये बबरिया तालाब की दुर्दशा देखकर यहाँ कायाकल्प अभियान की आवश्यकता महसूस होने लगी है। आलम यह है कि इस तालाब की पार पर गाजर घास का कब्जा है तो समीप ही स्थित शंकराचार्य पार्क बदहाली की कहानी कहता दिख रहा है।


एक समय में शहर के कण्ठ तर करने वाले बबरिया जलाशय पर नगर पालिका परिषद की नज़रें इनायत नहीं हो पा रही हैं। उपेक्षा के चलते बबरिया तालाबदुर्दशा का शिकार हो चुका है। बबरिया तालाब की पार पूरी तरह गाजर घास सहित अन्य खरपतवार का कब्जा साफ दिखायी देता है।


ज्ञातव्य है कि तत्कालीन जिलाधिकारी धनराजू एस. के द्वारा बबरिया तालाब की सुध ली गयी थी। उनके द्वारा जन सहयोग से बबरिया तालाब में ऊग आयी खरपतवार को हटवाया जाकर इसका गहरीकरण करवाया गया था। उनके द्वारा बबरिया तालाब को सुंदर बनाये जाने की योजना भी तैयार करने के निर्देश दिये गये थेकिन्तु उनके स्थानांतरण के बाद यह योजना ठण्डे बस्ते के हवाले कर दी गयी थी।


जिलाधिकारी कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि उस दौरान समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया एवं दैनिक हिन्द गजट की भीमगढ़ का पानी बबरिया तालाब में लाकर उसके बाद बबरिया तालाब से शहर को पानी प्रदाय करने की मुहिम पर उनके द्वारा मुहर लगायी जाकर इस संबंध में नगर पालिका को निर्देश भी दिये गये थे।


जानकारों का कहना है कि बबरिया तालाब का निर्माण सिवनी शहर की प्यास बुझाने के लिये ब्रितानी शासन काल में 1904 के दौरान करवाया गया था। इसके बाद इसका जल भराव क्षेत्र बढ़ाया भी गया था। बबरिया तालाब का रखरखाव अगर उचित तरीके से किया जाता है तो सिवनी शहर को गर्मी के मौसम में जलसंकट से निज़ात मिल सकती है।


सूत्रों ने बताया कि इस तालाब के पास ही नगर पालिका परिषद के द्वारा शंकराचार्य पार्क का निर्माण करवाया गया था। इस पार्क को संवारने के लिये लाखों रूपये फूंकने के बाद भी यह पार्क आज भी बदहाली का शिकार है। यहाँ लगवायी जाने वाली मोगली की प्रतिमाएं (जो 26 जनवरी को दिल्ली के राजपथ पर मध्य प्रदेश की झांकी के रूप में प्रदर्शित की गयी थी) भी सड़ गल चुकी हैं।


यहाँ घूमने आने वालों ने बताया कि बारापत्थर क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में सुबह और शाम के समय बबरिया तालाब तक टहलने भी जाते हैं। यहाँ शंकराचार्य पार्क एवं बबरिया तालाब के आसपास शराब की खाली बोतलें इस बात की चुगली करती दिखती हैं कि मयज़दों के लिये यह निर्जन स्थान मुफीद ही साबित हो रहा है