*सत्य परेशान होता है लेकिन पराजित नहीं*
*चार पत्रकार को न्यायालय ने किया बाइज्जत बरी
नीमच। समीप गांव भरडिया पूर्व सरपंच बालाराम पाटीदार द्वारा जिला कलेक्टर के आदेश को नजरअंदाज करते हुए अवैध फर्जी तरीके से दिनांक 20/10/ 2015 को बस स्टैंड स्थित अपने खेत पर अवैध बोरवेल कर रहा था बोरवेल की जानकारी ग्राम पंचायत भरभडिया के वर्तमान उपसरपंच अशोक पाटीदार द्वारा नीमच के चार पत्रकारों को इसकी जानकारी दी थी।पत्रकारों द्वारा यह जानकारी नीमच जिला कलेक्टर नंदकुमार एसडीएम एवं तहसीलदार को दी गई थी। जिला कलेक्टर नंदकुमार ने उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुए तहसीलदार व पटवारी को भेज कर पंचनामा कार्रवाई कर दोनों मशीनों को जप्त कर नीमच कैंट थाने पर खड़ा कराया गया था। तहसीलदार गोपाल सोनी और केंट थाने पर सरकारी गवाह भी नरेन्द्र गहलोत जुगल किशोर राठोर को बनाया। केंट थाने पर बालाराम के दत्तक पुत्र कैलाश पिता बालाराम पाटीदार, शैल्या उर्फ राजू पिता परियास्वामी और रवि कुमार पिता भेरुलाल के खिलाफ पेय जल संरक्षण अधिनियम के आदेश क्रमांक 1257/डुडा /पेयजल 2012 का उल्लंघन करने पर बोरवेल मशीन जप्त कर तीनों को आपराधिक प्रकरण क्रमांक 547/2015 दर्ज कर धारा 188 भा.द,स. मे आरोपी बनाया गया था । उक्त आरोपियों के खिलाफ नीमच न्यायालय के अंदर प्रकरण विचाराधीन होने पर भी पूर्व सरपंच बालाराम पाटीदार द्वारा सत्ता और पैसे के मद मे मदहोश होकर पुनः उसी बोर पर दिनांक 11/12/ 2015 को बोरवेल मशीन लगाकर अवैध उत्खनन करने का कार्य शुरू कर दिया था। बालाराम पाटीदार उसके पुत्र सहित दो व्यक्तियों के खिलाफ नीमच न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन होने के बाद भी बालाराम पाटीदार ने सत्ता और पैसे के नशे में मदहोश होकर माननीय न्यायालय और जिला प्रशासन को गुमराह कर बोरवेल उत्खनन करने का कार्य शुरू कर दिया था । जबकि दिनांक 4/1/2016 को न्यायालय द्वारा तीनो आरोपियो को ₹1000-1000 के दंड से दंडित कर और न्यायालय उठने तक की सजा दी गई थी । आरोपियों को क्रमशः 5-5 दिवस का अतिरिक्त सादा कारावास भुगताया जाये का आदेश भी पारित किया गया था। देखने वाली बात यह थी कि न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन होने के बाद भी बालाराम पाटीदार अपने खेत पर अवैध एवं फर्जी तरीके से प्रशाशन के आदेश को ताक पर रखकर बोरवेल कर रहा था ! इसकी कोई परमिशन बालाराम पाटीदार द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों से नहीं ली गई थी ! दिनांक 11/12/2015 को बालाराम पाटीदार नीमच कैंट थाने पर एक फर्जी आवेदन देकर अपने कारनामों को छुपाने के लिए नीमच के चार पत्रकारों के खिलाफ एक फर्जी प्रकरण दर्ज करवाया था । उक्त कार्रवाई में नीमच केंट थाने पर पदस्थ वी डी जोशी द्वारा पत्रकारों से और गांव भरभडिया के वर्तमान उपसरपंच अशोक पाटीदार से उक्त बोरवेल की कोई जानकारी नहीं लेकर पत्रकारों के खिलाफ फर्जी प्रकरण दर्ज कर दिया । यहां तक कि केंट थाने के थाना प्रभारी उन्हीं के थाने मे पूर्व प्रकरण में बनाए गए सरकारी दो गवाहों नरेंद्र गहलोत और युगल किशोर को भी आरोपी बना दिया गया था । अपना फर्ज निभाने के एवज में अवैध कार्य करने वालों ने पुलिस से मिलीभगत कर निर्दोष पत्रकारों पर भारतीय दंड विधान की धारा 384,190 506,294, 34 के तहत असत्य प्रकरण दर्ज कर दिया और यह सारा तमाशा आंख बंद कर जिला प्रशासन के आला अधिकारी देखते रहे । उक्त मामले का प्रकरण भी नीमच न्यायालय में विचाराधीन था, निचली अदालत द्वारा दिनांक 27/8/2019 को धारा 190, 506, 294 और 34 मे चारों पत्रकारों को दोषमुक्त कर दिया । लेकिन धारा 384 के अंदर दोषमुक्त नहीं किया गया । चारों पत्रकारों द्वारा जिला एवं सत्र न्यायालय नीमच के समक्ष अपील पेश की । उक्त अपील पर विचार करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री अजय सिंह ठाकुर द्वारा चारों पत्रकारों को उक्त प्रकरण में निर्दोश पाते हुए बाइज्जत बरी कर दिया । जिस प्रकार से लोकतंत्र के चौथे स्तम्ब की आवाज दबाने का अवैध कार्य करने वालो ने प्रयास किया और उनकी सहायता पुलिस प्रशासन द्वारा की गई यह अत्यंत निंदनीय कृत्य था । परन्तु अब जब न्यायालय द्वारा चारों पत्रकारों को आरोपों से दोषमुक्त कर दिया गया तो यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं । इस प्रकरण में जिस प्रकार से लोकतंत्र के चौथे स्तम्ब की आवाज को दबाने का प्रयास किया गया और पत्रकारों पर अपने अवैध उद्देश्यों की पूर्ति करने के लिये आरोपियों द्वारा असत्य प्रकरण दर्ज करवा दिया बावजूद इसके न्यायालय में सत्य की विजय हुई और चारों पत्रकारों को न्याय मिला ।