भाजपा को दबावमुक्त बनाने भार्गव का सियासी दांव०- देवदत्त दुबे






भोपाल। (हिन्द न्यूज सर्विस)। राजगढ़ घटनाक्रम के बाद जिस तरह से आईएएस अधिकारी सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ इशारों में और कुछ खुल कर भाजपा नेताओं पर कटाक्ष कर रहे थे और कांग्रेस के प्रवक्ता अधिकारियों के बचाव में बयान दे रहे थे उससे ऐसा माहौल बन रहा है कि प्रदेश में कांग्रेस और अधिकारी मिलकर भाजपा के खिलाफ हैं भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं को इसी दबाव से मुक्त करने के लिए नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने फेसबुक पर एक पोस्ट डाल कर अधिकारियों पर जमकर तंज कसे जिसमें भाजपा कार्यकर्ता अपने आप को दबाव मुक्त महसूस कर सकें। दरअसल ४० वर्षों से लगातार सदन के सदस्य रहने के कारण नेता प्रतिपक्ष गोपाल भागर््व कि प्रदेश की सियासत की नब्ज समझने में देर नहीं लगती वे कई बार सदन के अंदर बहस की दिशा मोड़ चुके हैं और कई बार सड़क पर नई बहस छेड़ चुके हैं उनके इसी अनुभव को वरीयता देते हुए पार्टी ने अहम मौके पर नेता प्रतिपक्ष की कमान सौंपी और वे जिस तरह से सदन से लेकर सड़क तक अपनी भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं उससे उन्हें नई राजनैतिक पृष्ठभूमि तैयार करने का मौका भी मिल रहा है। बहरलाल रविवार को नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने अनी फेसबुक वाल पर एक पोस्ट डाली जिसमें उन्होंने राजगढ़ घटनाक्रम के बाद अधिकारियों द्वारा सोशल मीडिया पर परोक्ष रूप से तंज कसे जाने को आड़े हाथों लेते हुए उन अधिकारियों पर जमकर निशाना साधा जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं या फिर हनी ट्रैप जैसे मामले में नाम आ रहे हैं सियासी हवा का रुख समझने वाले भार्गव ने यह पोस्ट ऐसे समय डाली है जब भाजपा कार्यकर्ता और नेता अपने आप को दबाव में महसूस कर रहे हैं क्योंकि जो अधिकारी सड़क पर मारपीट कर रहे उनके खिलाफ तो कोई कार्रवाई हो नहीं रही लेकिन जो भाजपा नेता बयान भी दे रहे हैं तो फिर उनके खिलाफ एफआईआर भी होती है और गिरफ्तारी भी होती है ऐसे में भविष्य में भाजपा कार्यकर्ता नेताओं का सरकार के खिलाफ आंदोलन करने में सड़क पर निकलने में भाजपा के लिए मुश्किल हो जाता हालांकि भार्गव की इस पोस्ट से प्रदेश में नई बहस जरूर छिड़ेगी कि आखिर उन अधिकारियों के नाम भी सार्वजनिक किए जाएं जो भ्रष्टाचार और हनी ट्रैप जैसे मामलों में संलिप्त हैं और पार्टी नेतृत्व को भी उन भाजपा नेताओं को हिदायत देनी पड़ेगी जो सार्वजनिक रूप से अनर्गल आरोप लगाने में विश्वास करते हैं और भाजपा को बैकफुट पर आने के लिए मजबूर करते हैं पिछले १५ वर्षों में भाजपा के नीति निर्णायक हुआ करते थे अब एक वर्ष में ही यह अधिकारी भाजपा को कांग्रेस के एजेंट लगने लगे आखिर भाजपा १५ वर्षों में अधिकारियों का विश्वास अर्जित करने में क्यों नाकाम रही यह भी पार्टी को चिंतन करना चाहिये। जाहिर है नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की फेसबुक पोस्ट से सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर जो नई बहस छिड़ी हे उससे वे परतें खुलनी चाहिए जिसके चलते अधिकारी पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं।