जेएनयू का वायरस और भाजपा  ( राकेश अचल )


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आपको पता है कि  मेरा राजनीति से उतना ही लेना-देना है जितना एक आम मतदाता का होता है लेकिन हर ताजा प्रसंग पर तप्सरा करना मेरा धर्म भी है और धंधा भी ।इसलिए मेरे लिखे में राजनीति न देखकर आनंद  की खोज कीजिये,न मिले तो अगले दिन की प्रतीक्षा कीजिये ।आज मैं चीन में उत्पात मचने वाले कोरोना वायरस के बजाय उस वायरस का जिक्र कर रहा हूँ जिससे देश   पर राज करने वाली 30  करोड़ सदस्यों की भाजपा आतंकित है ।भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और हमारे सूबे के सबसे मस्त -व्यस्त भाजपा नेता कैलाश विजयबर्गीय ने बताया कि  ये वायरस राजगढ़ तक पहुँच गया है ।
कैलाश जी ने जिस वायरस के प्रसार पर चिंता जताई  है उसका नाम है 'जेएनयू वायरस '।भाजपा नेता को पिछले दिनों थप्पड़ मारकर सुर्ख़ियों में आई राजगढ़ की कलेक्टर सुशी निधि निवेदिता कैलाश जी के मुताबिक जेएनयू की हैं ।[हालांकि वे दिल्ली विवि की छात्रा रहीं है ]निधि को भाजपा के ही दूसरे नेता और जगत मामा शूर्पणखा कहते हैं ,क्यों कहते हैं ,ये मै नहीं जानता क्योंकि मैंने निधि की जो तस्वीरें अखबारों में देखी हैं वे बड़ी ही सुदर्शन हैं ।मुझे चिंता इस बात की है कि जेएनयू के वायरस से आतंकित भाजपा नेता अपनी पार्टी में देश की वित्त मंत्री के रूप में सुश्री निर्मला सीतारामन को कैसे झेल रहे हैं ?
पिछले छह साल से देश देख रहा है कि सबका साथ,सबका विकास , का नारा देने वाली भाजपा सबसे जायदा जेएनयू से आतंकित है ।बीते छह साल में सरकार और भाजपा की और से सबसे ज्यादा हमले जेएनयू पर हुए हैं और अभी भी जारी हैं ।पता नहीं भाजपा को इस विवि से घृणा है या इसके साथ बाबस्ता नेहरू नाम से ?सरकार चाहे तो इस वायरस से एक पल में निजात मिल सकती है। अंक   गणित में  दोनों सदनों में मजबूत भाजपा चाहे जब इस विवि का विघटन कर सकती है ,चाहे जब इसका नाम बदल सकती है ,कोई क्या कर लेगा ?सरकार को एक डंका बजाकर ऐलान ही तो करना है ।
भारतीय प्रशासनिक सेवाओं की विभिन शाखाओं में जेएनयू से उपाधियाँ लेकर बाहर आने वाले छात्र चुने जाते हैं।यदि भाजपा इन सबको एक घातक वायरस समझती है तो उसे एक कानून या अध्यादेश के जरिये जेएनयू से उत्तीर्ण छात्रों के अखिल भारतीय सेवाओं में शामिल होने पर पाबंदी लगा देना चाहिए ।दोनों काम एक साथ नहीं हो सकते किआप एक तरफ जेएनयू को खतरनाक वायरस बताएं और दूसरी तरफ वहां से निकले छात्रों को अपना वित्त मंत्री बनाकर भी रखें. गुड़ के साथ गुलगुलों से भी नेम करना पडेगा ।
बहरहाल भाजपा नेताओं के बोल-बचन पढ़-सुनकर मुफ्त का आनंद आने लगा है ।प्रमाणित होने लगा है कि भाजपा के अधिकाँश साथी रामचरित मानस के प्रकांड विद्वान हैं ।उन्हें जब किसी की तुलना करना होती है तब वे इसी किताब से उद्धरण लेते हैं। संसद में साहब ने लिया था एक महिला संसद की हंसी पर और सड़क पर शिवराज सिंह ले रहे हैं एक पार्टी कार्यकर्ता का लाल गाल देखकर ।अच्छा भी है। देश में राम राज की स्थापना के लिए सभी तरह के पात्रों की आवश्यकत होगी ।ये सब ज्ञान जेएनयू में तो मिलने से रहा ।वहां तो लोगों को बोलना,सवाल करना और प्रतिकार करना सिखाया जाता है ,जो राजनीतिक दलों में पूरी तरह से प्रतिबंधित है,फिर चाहे वो दल भाजपा हो या कांग्रेस ।वामदलों में सवाल-जबाब होते हैं लेकिन अपने तरीके से ।
मुझे उम्मीद है की जब प्रदेश में कभी खुदा न खास्ता श्री कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो जेएनयू से पढ़कर प्रशासनिक सेवाओं में आये अफसरों को मध्यप्रदेश से बाहर कर दिया जायेगा । मध्यप्रदेश में काशी विवि और इलाहबाद वाले ही काम कर पाएंगे ।सरस्वती शिशु मंदिर वालों को भी हर जगह प्राथमिकता मिलेगी ।मेरे परिवार में इन संस्थानों से निकले लोग हैं लेकिन मै उन्हें वायरस नहीं समझता। वे बड़े समझदार लोग हैं ।मेरा सुझाव है कि कैलाश जी को भी समझदारी से काम लेना चाहिए और जेएनयू वायरस से घृणा करने के बजाय उसके साथ रहना सीख लेना चाहिए ।मामा शिवराज सिंह तो पूरे 13  साल इसी वायरस के साथ रहे ,उन्होंने तो कभी कुछ नहीं कहा,वे आज भी निधि को सूर्पणखा कह रहे हैं जेएनयू का वायरस नहीं ।इस मसले पर आई ऐ एस एसोसिएशन की चिंता सचमुच गौरतलब है। हमेंजेएनयू का वायरस और भाजपा
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आपको पता है कि मेरा राजनीति से उतना ही लेना-देना है जितना एक आम मतदाता का होता है लेकिन हर ताजा प्रसंग पर तप्सरा करना मेरा धर्म भी है और धंधा भी ।इसलिए मेरे लिखे में राजनीति न देखकर आनंद की खोज कीजिये,न मिले तो अगले दिन की प्रतीक्षा कीजिये ।आज मैं चीन में उत्पात मचने वाले कोरोना वायरस के बजाय उस वायरस का जिक्र कर रहा हूँ जिससे देश पर राज करने वाली 30 करोड़ सदस्यों की भाजपा आतंकित है ।भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और हमारे सूबे के सबसे मस्त -व्यस्त भाजपा नेता कैलाश विजयबर्गीय ने बताया कि ये वायरस राजगढ़ तक पहुँच गया है ।
कैलाश जी ने जिस वायरस के प्रसार पर चिंता जताई है उसका नाम है 'जेएनयू वायरस '।भाजपा नेता को पिछले दिनों थप्पड़ मारकर सुर्ख़ियों में आई राजगढ़ की कलेक्टर सुशी निधि निवेदिता कैलाश जी के मुताबिक जेएनयू की हैं ।[हालांकि वे दिल्ली विवि की छात्रा रहीं है ]निधि को भाजपा के ही दूसरे नेता और जगत मामा शूर्पणखा कहते हैं ,क्यों कहते हैं ,ये मै नहीं जानता क्योंकि मैंने निधि की जो तस्वीरें अखबारों में देखी हैं वे बड़ी ही सुदर्शन हैं ।मुझे चिंता इस बात की है कि जेएनयू के वायरस से आतंकित भाजपा नेता अपनी पार्टी में देश की वित्त मंत्री के रूप में सुश्री निर्मला सीतारामन को कैसे झेल रहे हैं ?
पिछले छह साल से देश देख रहा है कि सबका साथ,सबका विकास , का नारा देने वाली भाजपा सबसे जायदा जेएनयू से आतंकित है ।बीते छह साल में सरकार और भाजपा की और से सबसे ज्यादा हमले जेएनयू पर हुए हैं और अभी भी जारी हैं ।पता नहीं भाजपा को इस विवि से घृणा है या इसके साथ बाबस्ता नेहरू नाम से ?सरकार चाहे तो इस वायरस से एक पल में निजात मिल सकती है। अंक गणित में दोनों सदनों में मजबूत भाजपा चाहे जब इस विवि का विघटन कर सकती है ,चाहे जब इसका नाम बदल सकती है ,कोई क्या कर लेगा ?सरकार को एक डंका बजाकर ऐलान ही तो करना है ।
भारतीय प्रशासनिक सेवाओं की विभिन शाखाओं में जेएनयू से उपाधियाँ लेकर बाहर आने वाले छात्र चुने जाते हैं।यदि भाजपा इन सबको एक घातक वायरस समझती है तो उसे एक कानून या अध्यादेश के जरिये जेएनयू से उत्तीर्ण छात्रों के अखिल भारतीय सेवाओं में शामिल होने पर पाबंदी लगा देना चाहिए ।दोनों काम एक साथ नहीं हो सकते किआप एक तरफ जेएनयू को खतरनाक वायरस बताएं और दूसरी तरफ वहां से निकले छात्रों को अपना वित्त मंत्री बनाकर भी रखें. गुड़ के साथ गुलगुलों से भी नेम करना पडेगा ।
बहरहाल भाजपा नेताओं के बोल-बचन पढ़-सुनकर मुफ्त का आनंद आने लगा है ।प्रमाणित होने लगा है कि भाजपा के अधिकाँश साथी रामचरित मानस के प्रकांड विद्वान हैं ।उन्हें जब किसी की तुलना करना होती है तब वे इसी किताब से उद्धरण लेते हैं। संसद में साहब ने लिया था एक महिला संसद की हंसी पर और सड़क पर शिवराज सिंह ले रहे हैं एक पार्टी कार्यकर्ता का लाल गाल देखकर ।अच्छा भी है। देश में राम राज की स्थापना के लिए सभी तरह के पात्रों की आवश्यकत होगी ।ये सब ज्ञान जेएनयू में तो मिलने से रहा ।वहां तो लोगों को बोलना,सवाल करना और प्रतिकार करना सिखाया जाता है ,जो राजनीतिक दलों में पूरी तरह से प्रतिबंधित है,फिर चाहे वो दल भाजपा हो या कांग्रेस ।वामदलों में सवाल-जबाब होते हैं लेकिन अपने तरीके से ।
मुझे उम्मीद है की जब प्रदेश में कभी खुदा न खास्ता श्री कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो जेएनयू से पढ़कर प्रशासनिक सेवाओं में आये अफसरों को मध्यप्रदेश से बाहर कर दिया जायेगा । मध्यप्रदेश में काशी विवि और इलाहबाद वाले ही काम कर पाएंगे ।सरस्वती शिशु मंदिर वालों को भी हर जगह प्राथमिकता मिलेगी ।मेरे परिवार में इन संस्थानों से निकले लोग हैं लेकिन मै उन्हें वायरस नहीं समझता। वे बड़े समझदार लोग हैं ।मेरा सुझाव है कि कैलाश जी को भी समझदारी से काम लेना चाहिए और जेएनयू वायरस से घृणा करने के बजाय उसके साथ रहना सीख लेना चाहिए ।मामा शिवराज सिंह तो पूरे 13 साल इसी वायरस के साथ रहे ,उन्होंने तो कभी कुछ नहीं
 कहा,वे आज भी निधि को सूर्पणखा कह रहे हैं जेएनयू का वायरस नहीं ।इस मसले पर आई ऐ एस एसोसिएशन की चिंता सचमुच गौरतलब है। हमें भाषा की सूचित तो बनाये ही रखना पड़ेगी ।राजनीति गली-गलौच का नाम तो नहीं है !
@ राकेश अचल