किताबों का  पुष्य  नक्षत्र  कहाँ  गायब  है ? **********************

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देश में पुस्तकों का महा कुम्भ चल रहा है लेकिन देश के सारे ज्योतिषी शीत निद्रा में हैं,कोई नहीं बता रहा की किताबें खरीदने के लिए फिलहाल कोई पुष्य नक्षत्र है भी या नहीं ? दरअसल हम हिन्दुस्तानियों को पुष्य नक्षत्र ने अपना मुरीद बना रखा है। नवदुर्गा हो या दीपावली हम तभी खरीद-फरोख्त करते हैं जब हमारे ज्योतिषी हमें बताते हैं कि खरीददारी के लिए पुष्य नक्षत्र कब से कब तक है और इस नक्षत्र में कब,कौन सी वस्तु खरीदने से श्रीवृद्धि होती है ?
मुझे ज्योतिषियों का मौन देखकर शंका होने लगी है कि ये सबके सब सर्राफों और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादकों से मिले हुए हैं,यानि इनकी,उनसे कोई सांठ-गाँठ है ।अखबार वाले भी इसमें शामिल हैं तभी तो पहले से ही चिल्लाने लगते हैं कि पुष्य नक्षत्र आयो री आयो ! देश की आबादी इसी पुष्य नक्षत्र में खरीददारी करती आ रही है ।लेकिन किताबों की खरीद के लिए इस पुष्य नक्षत्र में कोई जिक्र नहीं है।जैसे किताबें  न हुईं बल्कि कबाड़ हो गयीं ?
मैंने या मेरे पुरखों ने आजतक पुष्य नक्षत्र में कोई किताब नहीं खरीदी,खरीदते कहाँ से ,किसी ने बताया ही नहीं।न अखबार ने और न टीवी ने ।बीवी  बताये इसका तो सवाल ही नहीं उठता ।ज्योतिषी तो जैसे भांग पीकर बैठे हुए हैं ।मैंने अपने पड़ौस में रहने वाले पंडित अमित त्यागी  से इस बारे में पूछ लिया तो वे भड़क गए ,बोले-मूर्ख हो ! किताबें खरीदने के लिए शुभ महूर्त पूछ रहे हो ?अरे आपके पास किताबें खरीदने के लिए इस मंहगाई में पैसे आखिर बचते कैसे हैं ?पंडित जी का प्रतिप्रश्न सुनकर हमारे होश फाख्ता हो गए जैसे आजकल जेएनयू वालों के मार-कुटाई के बाद से हुए हैं ।
किताबों के कुम्भ के दौरान बैंकर और फायनेंसर भी हाँथ बांधकर बैठे हैं ।किसी बैंक या फायनेंसर ने किताबें खरीदने के लिए जीरो फायनेंस स्कीम लांच नहीं की है। अखबारों में कोई विज्ञापन तक नहीं है ।किताबें न किश्तों पर मिल सकतीं है और निनके लिए कोई वित्त     पोषण   करने   के लिए तैयार   है ।सबको लगता है किताबें खरीदने वाले कंगले होते होंगे,आखिर भुगतान करेंगे कैसे ?वित्तीय संस्थाएं भी इस मामले में सरकार की तरह सोचतीं हैं शायद ।लेकिन आप यकीन मानिये कि यदि मै देश का वित्त मंत्री होता तो न केवल किताबों के लिए सरल फायनेंस स्कीम लाता बल्कि किताबें खरीदने पर आयकर विभाग की किसी न किसी धारा के तहत किताब प्रेमियों को कर छूट भी दिलाता ।पर हाय रे हाय ! 'मन होंसिया,और करम गढ़िया' ।
दुर्भाग्य की बात ये है कि किताबों के लिए वित्त-पोषण के बारे में निजी क्षेत्र के धननायकों की भी कोई रूचि नहीं है। सबको लगता है कि किताबों के लिए पैसा देना घाटे के अलावा कोई दूसरा काम हो ही नहीं सकता ।किताबों के प्रकाशक भी इस बारे में नहीं सोचते।वे अपनी रद्दी किताबें किलो के भाव से बेच सकते हैं किन्तु न किताबों के लिए वित्त पोषण कर सकते हैं और न कोई  रियायत ही दे सकते हैं क्योंकि अधिकाँश प्रकाशक तो पहले ही लेखक की अंटी ढीली करा  चुके होते हैं ।किताबें बिकें या न बिकें उनकी गाँठ से क्या जाता है ?उनका मुनाफ़ा तो पहले ही निकल चुका होता है ।
मैंने बड़ी मेहनत से पंचांगों को खंगाल   कर पता किया है कि यदि किताबें अभिजीत मुहूर्त और त्रिपुष्कर योग  में खरीदी जाएँ तो जातक का कल्याण अवश्य होगा ।संयोग  से ये दोनों आज ही हैं,इसलिए 'मत चूके  चौहान '।जिसे जो खरीदना है,खरीद ले ।खरीदने के लिए विषय का चुनाव आप खुद कर सकते हैं ।सेहत अच्छी रखना है तो हास्य-व्यंग्य की किताबें खरीदें,लक्ष्मी को प्रसन्न करना है तो धन दो गुना कैसे हो जैसी किताबें चुन लें ,बाजीगरी करना है तो उसके लिए भी पुस्तकों की कमी नहीं है,समाज में पहचान बनाना है तो अंग्रेजी के सस्ते उपन्यास खरीद सकते हैं ।ड्राइंगरूम की शोभा बढ़ने के लिए गहरे रंग की जिल्द वाली किताबें खरीदी जा सकती हैं ।लोक-परलोक सुधरने की चाहत हो तो किसी धार्मिक स्टाल पर जाकर खरीददारी करें,भाषा की चिंता न की जाये ।बच्चों के लिए किताबें जरूर खरीदें इससे घर में किलकारियां गूंजती रहेंगीं ।
इस बार मुझस चूक हो गयी ,आगे साल मै पुस्तक मेले के दौरान एक स्टाल ऐसा भी लगवाऊंगा जहाँ हमारे हस्तरेखा विशेषज्ञ आपकी भाग्य रेखाएं देखकर पुस्तक खरीदने के विषय में मुफ्त सलाह  देंगे ।कुछ ज्योतिषी भी बैठाऊंगा जो बताएँगे कि कौन सी किताब,किसे दान करने से आपका लाभ हो सकता है या कौन सी किताब खरीदना घातक है ।विषय नया है किन्तु संभावनाओं से भरा है। मै नेशनल बुक ट्रस्ट वालों से भी इस बाब्ड विमर्श करूंगा,बात न बनी तो अपने राजनीतिक सम्पर्कों का इस्तेमाल भी करूंगा ।वित्त मंत्री से भी मेरा इस विषय में विमर्श करने का इरादा है ताकि पुस्तक प्रेमियों के लिए कोई आसान और कम व्याज वाली वित्त पोषण योजना लाइ जा सके ।फिलहाल आप आज ही पुस्तक मेला जाइये और अपनी मन पसंद किताब खरीद लीजिये क्योंकि संयोग से आज ही अभिजीत मुहूर्त और त्रिपुष्कर योग है ।पुस्तकें खरीदने के लिए ये मुहूर्त 8  जनवरी तक रहने वाला है ।
@ राकेश अचल