पन्ना – {sarokaar news} बच्चे देश का भविष्य होते हैं यह बताया जाता है और यह सत्य भी है इसके बाद भी देश के भविष्य की देखरेख पर होने वाले भारी भरकम बजट को कौन डकार रहा है जिससे देश का भविष्य कुपोषित हो रहा है। गर्भावस्था से लेकर जन्म तक और उसके बाद बच्चों के लिए सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाकर बच्चों को स्वस्थ रखने के लिये करोड़ों रुपय खर्च किये जाते हैं इसके बाद भी कुपोषण के अभिशाप से बच्चे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं इसके लिए कौन जिम्मेदार है। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से चल रहे शिशु स्वास्थ्य सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से आने वाली राशि को सम्बंधित विभाग आंकड़ेबाजी दर्शाकर इतिश्री कर देता है इससे जमीनी स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हो पाता है। इसके नतीजे में दिखाई देता है भीषण कुपोषण, कुपोषण मामूली समस्या कतई नहीं है यह सीधे सीधे नौनिहालों देश के भविष्य को पंगु बना देने का अपराध है।
कुपोषण यह एक ऐसा चक्र है जिसके चंगुल में बच्चे अपनी कुपोषित मां के गर्भ में ही फंस जाते हैं। उनके जीवन की नियति दुनिया में जन्म लेने के पहले ही तय हो जाती है और इसका कारण है गरीबी। कुपोषण के मायने होते हैं आयु और शरीर के अनुरूप पर्याप्त शारीरिक विकास न होना, एक स्तर के बाद यह मानसिक विकास की प्रक्रिया को भी अवरूध्द करने लगता है। बहुत छोटे बच्चों खासतौर पर जन्म से लेकर 5 वर्ष की आयु तक के बच्चों को भोजन के जरिये पर्याप्त पोषण आहार न मिलने के कारण उनमें कुपोषण की समस्या जन्म ले लेती है। इसके परिणाम स्वरूप बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है तथा छोटी-छोटी बीमारियां उनकी मृत्यु का कारण बन जाती हैं।
समाज से कुपोषण मिटाये बिना स्वस्थ समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है इसी सोच को आधार मानकर आंगनवाड़ी कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी तथा सरकारी विज्ञापनों में बताया गया कि यह दुनिया का सबसे बड़ा कुपोषण निवारण अभियान है। इस योजना को शुरू हुए अर्सा बीत गया लेकिन कुपोषण की समस्या बरकरार है। आंगनवाड़ियों की आज क्या स्थिति है यह किसी से छुपा नहीं है लेकिन सरकारी कारकुनों को यह बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता।
प्रदेश में कुपोषित बच्चों की बड़ी संख्या है जिसको नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता इसके बाद भी सरकारी योजनाओं में चल रही भ्रष्टाचारी जारी है। सरकार को कुपोषण पर काबू पाने के लिए भ्रष्टाचार पर नकेल कसनी होगी और जब तक भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण मिलता रहेगा कुपोषण समाप्त होने के बारे में सोचना बेमानी है।
कुपोषण मिट रहा है तथा उसपर काबू पाया जा रहा इस तरह का प्रचार प्रसार जिला स्तर पर किया जाता है जो कोरा झूठ है। दरअसल जिला प्रशासन, शासन को दिखाने के लिए इस तरह दुष्प्रचार कर अपनी नाकामियों पर पर्दा दाल रहा होता है। यही खेल अभी पन्ना जिले में चल रहा है। जिला प्रशासन द्वारा कुपोषित बच्चों को ‘गोद ले लो गोद’ का खेल किया जा रहा है। जिले के मुखिया के इस खेल में सभी लोग हिस्सा भी ले रहे हैं जिसमे बड़ी संख्या में छपासी नेता और कथित समाजसेवी शामिल हैं। इसके अलावा जिनका काम शासन प्रशासन से सवाल करना है वह भी इस खेल में शामिल होकर प्रशासन की नाकामियों के हिस्सेदार बने हुए हैं और पूरी तन्मयता के साथ प्रशासन का यशगान कर रहे हैं। मीडिया बच्चों को गोद ले रही है और मीडिया को प्रशासन ने गोद ले लिया है? प्रशासन द्वारा जोर शोर से यह प्रचारित किया जा रहा है कि कुपोषण मिटाने के लिए जागरूकता आवश्यक है। बात सही भी है, समाज को कुपोषण के प्रति जागरूक होना होगा, सरकार द्वारा चलाई जा रहीं शिशु कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च हो रही राशि का ब्यौरा जागरूक लोगों को प्रशासन से माँगना चाहिये तथा प्रशासन को देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्यवाई करनी चाहिए।
जिला प्रशासन को अपनी कार्यशैली के माध्यम से आमजन को यह सन्देश देना चाहिए कि वह भ्रष्टाचारियों पर सख्त है इसके बाद ही कुपोषण के खिलाफ इस तरह के कार्यक्रम चलाये जाने चाहिए। एक ओर भ्रष्टाचारियों को संरक्षण और दूसरी ओर वाहवाही बटोरने के लिए भव्य आयोजन इससे कुछ हासिल होने वाला नहीं है।