लेडी सिंघम नाम बेसे नहीं मिला

टीकमगढ़। सिंघम नाम आज ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का पर्याय बन गया है। यहां तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अमित सिंह को जहां सिंघम नाम दिया गया, तो वहीं सूबेदार आर्या पाराशर को लोगों ने उनकी कार्यशैली और अंदाज को देखकर लेडी सिंघम के रूप में नई पहचान देना शुरू कर दिया है। उनकी मानवीयता और सेवा भावना ने पुलिस की एक नई छवि को सामने लाने का प्रयास किया है।
सड़कों पर स्कूटी से जाते नाबालिग बच्चों को प्यार से समझाना और उनके अभिभावकों को हिदायत देना उनकी पहली कार्रवाई होती है। इसके बाद भी यदि अभिभावकों ने ध्यान नहीं दिया तो फिर जुर्माना और अन्य रास्ते अपनाये जाते हैं। लेडी सिंघम ने यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए अनेक योजनाएं बनाईं और उन्हें मूर्तरूप दिया। इसके परिणाम भी नगर में संतोष जनक नजर आए हैं। यातायात सप्ताह के दौरान उनकी कार्यशैली को लोगों ने मुक्त कंठ से सराहा। सूबेदार आर्या पाराशर ने यातायात व्यवस्था को बदलने के लिए टैक्सी चालकों पर नकेल कसने का काम किया है। ओवर लोडिंग और बिना परमिट टैक्सियों पर कार्रवाई करने का सिलसिला जारी बना हुआ है। यातायात सूबेदार आर्या पाराशर ने शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए यातायात में आते ही कई प्रयास किए है। सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान लोगों को हेलमेट वितरण करना हो या यमराज के साथ लोगों को सीट बेल्ट लगाने और हेलमेट लगाने के लिए जागरूक करना हो।
बाक्स
मजनुओं में है लेडी सिंघम को खौफ
सूबेदार आर्या पाराशर ने शहर की जनता को यातायात नियम बताने के लिए अनोखे अंदाज अपनाए है। यातायात सप्ताह के अन्तर्गत शहर के निजी एवं सरकारी स्कूलों में यातायात नियमों की जानकारी दी। सूबेदार आर्या का कहना है कि बच्चे समाज में संदेश पहुंचाने का सबसे अच्छा माध्यम है। बच्चों को सही नियम बता कर हम समाज में अच्छा बदलाव देखेंगे। इसके पहले भी निर्भया प्रभारी के तौर पर सूबेदार आर्या ने शानदार काम किए है। शहर के विभिन्न स्कूल, कालेज एवं कोचिंग संस्थान में जाकर बच्चियों को गुड टच टच और महिलाओं को ईव टीजिंग के बारे में जागरूक किया। शहर में मजनुओं में लेडी सिंघम का खौफ है। *टीकमगढ़ ब्यूरो प्रमोद अहिरवार की रिपोर्ट