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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रिय महासचिव श्री कैलाश विजयवर्गीय के नाम से पूरा इंदौर कांपता है,इसका पता मुझे बहुत पहले से था लेकिन उन्होंने अपने प्यारे इंदौर को आग लगा देने की धमकी देकर इस बात की पुष्टि भी कर दी कि वे असल बाहुबली हैं। कैलाश जी की प्रतिभा का हर कोई कायल है।इंदौर वाले भी और भोपाल वाले भी ।वे जो करते हैं,डंके की चोट करते हैं ।निडर हैं ,किसी से नहीं डरते [सिवाय कमलनाथ के]।उन्हें डरना भी नहीं चाहिए,क्योंकि जो डर गया,वो मर गया ।
कैलाश जी का गुस्सा इंदौर के कमिश्नर और कलेक्टर पर है ,दोनों में से कोई उनसे मिलने रेजीडेंसी नहीं पहुंचा,सब शायद माफिया उन्मूलन अभियान में व्यस्त थे ।कैलाश जी बस इसी बात पर आपा खो बैठे और वो सब कह बैठे जो उन्हें नहीं कहना चाहिए था ।सबको पता है कि वे बाहुबली हैं और जो कहते हैं सो करके भी दिखा सकते हैं ,लेकिन आज हालात बदल गए हैं,सरकार बदल गयी है,अफसर बदल गए हैं ,इसलिए कैलाश जी को भी बदल जाना चाहिए था ,लेकिन वे नहीं बदले ,इसलिए उनके तेवर बदले-बदले नजर आ रहे हैं ।
इंदौर पुलिस की कृपा है कि उसने कैलाश जी की 'आग लगाने की धमकी'के बाद भी उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया ।मुझे लगता है कि ये पुलिस का सौजन्य है किन्तु कैलाश जी सौजन्य निभाना भूल गए ,भूल गए कि वे जन प्रतिनिधि हैं। भला हो उन्हें इतना तो याद रहा कि वे संघ के पदाधिकारी है,अन्यथा बेचारे इंदौर का क्या होता,ये सोच कर ही मै परेशान हो जाता हूँ ।क्योंकि इंदौर अनेक मामलों में नंबर एक का शहर है और मुझे उस पर गर्व हैं ,[कैलाश जी को हो या न हो]
मुझे तकलीफ इस बात की है कि कैलाश जी विधायक होते हुए भी बहु चर्चित 'हनीट्रैप' काण्ड को लेकर प्रशासन और शासन को 'ब्लैकमेल' कर रहे हैं ।उन्हें इस मामले की सारी जानकारी या एसआईटी को दे देना चाहिए थी लेकिन वे केवल धकमी दे रहे हैं ।अरे भाई फिर इस काण्ड की खलनायिकाओं और आप में भेद ही क्या रह जाएगा,वे भी तो यही काम कर रहीं थीं ।कायदे से कैलाश जी की धमकी के बाद एसआईटी को कैलाश जी से भी पूछताछ करना चाहिए ।मुमकिन है कि वे इस मामले में कुछ ज्यादा जानते हों ।मुझे कैलाश जी की क्षमता पर कोई संदेह नहीं है ।
कैलाश जी जब इंदौर के महापौर रहे तब भी चर्चा में थे,जब लोनिवि मंत्री रहे तब भी चर्चा में थे और आज जब अपनी पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री हैं तब भी चर्चा में हैं ,यानि चर्चा में रहना उनकी फितरत है ।इसे वे बदल नहीं सकते और उन्हें बदलना भी नहीं चाहिए ,अन्यथा उनमें बताने को बचेगा ही क्या ?कैलाश जी की धमकी से एक बात और जाहिर हुई है कि उनकी धुकधुकी पहले के मुकाबले कुछ ज्यादा बढ़ी हुई है,यदि ऐसा न होता तो वे आपा कदापि न खोते ।वैसे उनके पास अब खोने को बचा क्या है ?पार्टी के मौजूदा नेतृत्व के सामने अनेक अग्नि परीक्षाएं देकर भी वे जो चाहते थे सो पा नहीं सके ।उनसे ज्यादा तो मामा शिवराज सिंह हासिल कर चुके हैं।हमारे टिनोपाल विधायक डॉ नरोत्तम मिश्र हासिल कर चुके हैं ।
बहरहाल मुझे कैलाश जी को लेकर फ़िक्र हो रही है ।मुझे लग रहा है कि आने वाले दिनों में यदि सरकार ने माफिया उन्मूलन अभियान को बंद न किया तो कैलाश जी तख्ता पलटने में भी पीछे नहीं रहेंगे,।वे अपना तख्ता पलटेंगे या सरकार का ये बताने का ये सही समय नहीं है ।इंदौर वालों को अपने इस अभूतपूर्व जन नेता की चिंता करना चाहिए ।कमलनाथ जी को भी कैलाश जी के प्रति सह्रदयता दिखाना चाहिए ।प्रशासन को कहना चाहिए कि वो केवल सत्तारूढ़ दल के जन प्रतिनिधियों की ही नहीं विपक्ष के विधायकों की भी चिंता करता रहे ।
@ राकेश अचल
<no title> धमकी और धुकधुकी