www.abhitak.news******रासिवनी परिषद के जिम्मेदारों और *CMO* ने लीजधारियों से लाखों रूपयों चडौत्तरी ली.....ये कैसा अन्धा कानून और अन्धा प्रशासन है..?
आनंद ताम्रकार बालाघाट अभी तक वारासिवनी नगर में नगर पालिका परिषद से 1वर्ष के लिये अस्थाई लीज प्राप्त कर स्वीकृत क्षेत्र से अधिक भूमि पर स्थाई निर्माण करने के लिये आरसीसी स्लेब और कालम बनाकर 2-3 मंजिला दुकानें बिना अनुमति के बना ली गई।
मिडिया द्वारा नियम विरूद्ध कराये गये अवैध निर्माण कार्य के सबंध में लगातार समाचार प्रकाशन कराये जाने के बाद अपनी करतुतों पर पर्दा डालने के लिहाज से मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा 7 लीजधारियों को लीज निरस्त करने एवं निर्माण कार्य तोडने के लिये नोटिस जारी किये गये चूकी अवैध निर्माण करने वाले लीजधारियों से लाखों रूपये की वसूली कर ली गई तो आनन फानन में परिशद ने नजूल भूमि पर किये गये निर्माय कार्य के संबंध में प्रस्ताव पारित कर सीएमओ द्वारा 7 लीजधारियों को जारी नोटिस के आदेश को निरस्त कर दिया और अवैध निर्माण करने वालों के साथ समझौता कर अवैध निर्माण को वैधता प्रदान कर दी।
यह उल्लेखनीय है की मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा दिये गये किसी भी आदेष को परिषद द्वारा निरस्त नही किया जा सकता अपितु उक्त पारित आदेश के सबंध में सक्षम अधिकारी के समक्ष ततसंबंध में पूननिरीक्षण किये जाने के लिये परिषद द्वारा रखे जाने का प्रावधान किया गया है।
सूचना के अधिकार के तहत दिनांक 23 दिसंबर 2019 को पत्र क्रमांक 3742 के माध्यम से अवगत कराया गया है की 26 नवंबर 2019 को आहुत की गई विशेष बैठक में किये गये पक्के निर्माण कार्य का माप लिया जाकर निकाय की आय के दष्टिगत मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी राजपत्र के अनुसार प्रशमन शुल्क, समझौत शुल्क, अनुज्ञा शुल्क, वार्शिक किराया राशि निर्धारित की जाती है।
सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी में मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा यह भी अवगत कराया गया है की अस्थाई लीजधारी को स्थाई दुकान निर्माण के संबंध में किसी भी प्रकार की अनुमति प्रदान नही की गई है।
सूचना के अधिकार के तहत दी गई एक अन्य जानकारी में अनुबंध इकरारनामा-किराया पत्र में उल्लेखित कंडिकाओं में यह स्पष्ट किया गया है की लीजधारी नगर पालिका के अनुमति के बगैर किसी प्रकार का निर्माण/परिवर्तन/परिवर्धन नही करेगा। लीजधारी को अतिक्रमण करने पर उसकी लीज निरस्त कर दी जायेगी तथा लीजधारी इस संबंध में किसी प्रकार का दावा नही कर सकेगा।
उल्लेखित इन सारे कानून कायदों के बावजूद अवैध करने वाले लीजधारियों के विरूद्ध कार्यवाही करने की बजाये उनके साथ समझौत करने की आड़ में परिषद के जिम्मेदारों और मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने लीजधारियों से लाखों रूपयों चडौत्तरी ली। ऐसी नगर में जनचर्चा है तभी तो निर्माण कार्य की नींव खुदाई से लेकर भवन निर्माण कार्य पूर्ण होते तक परिषद ने कोई कार्यवाही नही की।
इन विसंगतियों के चलते नगर पालिका की भूमि पर स्वीकृत भूमि से अधिक क्षेत्र में पक्के निर्माण कार्य किये जाने का सिलसिला नगर में चल पड़ा है। ये कैसा अन्धा कानून और अन्धा प्रशासन है?