भोपाल।कई ऐसी योजनाएं बरसों से चल रही हैं, जिनका लाभ हितग्राहियों को मिल ही नहीं पा रहा है
केंद्र सरxकार से 14 हजार 233 करोड़ रुपए की कटौती होने के बाद राज्य सरकार ने अनुपयोगी योजनाओं की समीक्षा शुरू कर दी है, जिसमें केंद्र और राज्य के अंश के साथ हितग्राही का पैसा लगता है। ये ऐसी योजनाएं हैं, जो बरसों से चल रही हैं, लेकिन उनका कारगर फायदा नहीं मिला।
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मप्र सरकार ऐसी स्कीमों को बंद कर उन योजनाओं पर ध्यान देगी, जिनका सीधा फायदा गरीब, आदिवासियों को मिले। वित्त विभाग की प्रारंभ जानकारी में कुछ योजनाएं सामने आई हैं। मसलन बीपीएल व्यक्ति को स्वरोजगार के लिए एक मुर्गा और 28 दिन के रंगीन 40 चूजे देने, बाल काटने और बर्तन बनाने वाले को आर्थिक अनुदान जैसी योजनाएं शामिल हैं।
राज्य सरकार का मानना है कि ये ऐसी स्कीमें हैं, जो गरीब तबके को सक्षम बनाने में अनुपयोगी साबित हो रही हैं। इन्हीं स्कीमों को लेकर शासन ने वरिष्ठ आईएएस अफसरों की अध्यक्षता में पांच कमेटियां बनाई हैं, जो 18 फरवरी तक रिपोर्ट देंगी। इन कमेटियों की मॉनिटरिंग मुख्य सचिव एसआर मोहंती करेंगे। पांच कमेटियों का जिम्मा जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी, खाद्य एवं प्रसंस्करण के अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव केके सिंह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव और वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुराग जैन शामिल हैं।
31 मार्च-20 को पूरी हो रही है 14वें वित्त आयोग की मियाद
14वें वित्त आयोग की मियाद 31 मार्च को पूरी हो रही है। सरकार प्रयास कर रही है कि पिछली पंचवर्षीय के दौरान मप्र के लिहाज से केंद्र की जो भी अनुपयोगी योजनाएं हैं, उन्हें बंद किया जाए। वित्त विभाग का कहना है कि केंद्र अंशदान घटा रही है और केंद्रीय करों का हिस्सा भी काट रही है, इसलिए समीक्षा जरूरी है।
घटेगा बजट का आकार : राज्य सरकार बजट का साइज भी छोटा करने पर विचार कर रही है। यह 15 से 20% तक हो सकता है। मुख्यमंत्री 18 फरवरी के बाद वित्तमंत्री व प्रमुख अधिकारियों के साथ बैठेंगे। इसके बाद बजट को अंतिम रूप दिया जाएगा