सतना, बालाघाट और इंदौर में कलेक्टर रहे सुधीरंजन मोहंती जी आगामी 31 मार्च को मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं ! 1991-93 में सतना में पदस्थ रहे श्री मोहंती ने वैसे तो यहां कई महत्वपूर्ण कार्य किए पर एक अविस्मरणीय निर्माण कराया था- वह है सतना का बस स्टैंड !
सन 92 में इस निर्माण के पूर्व सतना का बसस्टैंड जगह पर जगह बदल रहा था ! पहले रेलवे स्टेशन के पास होटल महामाया (मार्तंड कांपलेक्स) की जगह बसस्टैंड था, फिर आधा हवाई अड्डे और आधा ओव्हरब्रिज के पास पहुंचा, जहां आजकल वीनस वाले का माँल बन गया है ; तत्पश्चात इन दोनों जगहों से बस अड्डा हटकर इंडियन कॉफी हाउस के सामने पहुंचा ! मोहंती साहब ने शहर की इस सनातन समस्या पर गौर किया और इसके लिए टाउन हॉल के पीछे जमीन का निर्धारण कर आर्किटेक्ट शंकर प्रसाद जी और तत्कालीन खनिज मंत्री बृजेन्द्रनाथ पाठक की मदद लेकर वर्तमान जगह पर इसका बेहतर निर्माण कराया ! उस समय मैं दैनिक जागरण की ब्यूरोचीफ़ी करने के अलावा “सनफेयर” पत्रिका भी निकालता था तब मैंने उसमें एक लेख “जिसे कहते हैं बसस्टैण्ड” छापा था जिसकी तस्वीर पोस्ट में लगा रहा हूं !
मैंने उस समय तक इतनी तेजी से लगातार काम करने वाला जनोन्मुखी कलेक्टर नहीं देखा था ! आर. परशुराम भी इतने तेज नहीं थे और दबाव में आ जाते थे ! 22 मार्च सन 60 में जन्मे श्री मोहंती ने सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली से बीए और आइआइएम अहमदाबाद से एमबीए किया ! वे सन 1982 बैच के आईएएस हैं ! उनकी पहली नियुक्ति असिस्टेंट कलेक्टर सरगुजा (अब छत्तीसगढ़) में हुई ! बाद में वे बालाघाट, फिर सतना और तत्पश्चात इंदौर के कलेक्टर बने ! इंदौर जैसे महानगर की कलेक्टरी के बाद मोहंती का काम प्रदेश स्तर पर दिखाई पड़ा ! अब जब वे सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं तो उनकी सेवानिवृत्ति के चार-पांच दिन पहले इंदौर में ही अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फ़िल्म अकादमी का विश्व प्रसिद्ध “आइफा अवॉर्ड समारोह” आयोजित होने जा रहा है ! यह बड़ी बात है !
कमलनाथ सरकार के संचालन में मुख्य सचिव एस.आर. मोहंती का अहम रोल माना जाता है ! हालांकि, मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ स्वयं एक अनुभवी और दक्ष नेता के तौर पर जाने जाते हैं मगर उनकी महत्वाकांक्षी परियोजना “आयुष्मान मध्यप्रदेश” मोहंती जी के मस्तिष्क की देन कही जाती है ! अभी हाल में हुई इंडस्ट्रियल मीट्स में भी वे अपने प्रभामंडल का इस्तेमाल कर चुके हैं और उन्हें आगे चलकर प्रदेश में औद्योगिक क्रांति के जनक के रूप में याद किया जाएगा ! निश्चित ही !
इस सरकार के पूर्व भी वे विभिन्न विभागों में सचिव के रूप में अपनी प्रशासनिक क्षमता का जज्बा और जलवा दिखा चुके हैं ! सतना से कलेक्टर के तौर पर जाने के बाद मेरी मोहंती जी से कभी मुलाकात नहीं हुई पर मैं उनका हमेशा मुरीद रहा हूं ! उसकी वजह एक तो उनका तेज काम और दूसरा कारण यह कि वे जब चाहे तब जागरण के मेरे दफ्तर में आकर बैठ जाते थे ! दो-ढाई सालों के बीच ऐसा शायद चार-पांच बार हुआ होगा जब कलेक्टर मोहंती साहब की एम्बेसडर रीवा-पन्ना मुख्य मार्ग पर स्थित मेरे अखबारी दफ्तर के सामने मेरी यजदी खड़ी देखकर रुकती और मोहंती जी अन्दर मेरे पास आकर बैठ कर बोलते- “यार एक सिगरेट मंगवा !”
उसी समय का एक किस्सा है ! मैंने सतना प्रेसक्लब के लिए एक पुराना सरकारी आवास भैंसाखाने के पास आबंटित करने के लिए अध्यक्ष के तौर पर आवेदन लगाया था ! पीडब्ल्यूडी विभाग को आबंटित करना था ! कलेक्टर साहब ने मंजूरी दे दी थी ! मुझे फोन कर बताया कि- यार मैंने तेरा काम कर दिया है ! सोमवार को तेरे को “फलाने से” ऑर्डर मिल जाएगा !
सोमवार को मुझे ऑर्डर नहीं मिला ! उस दौर में मुझे “नहीं” सुनने की आदत नहीं थी ! रात में मैंने मोहंती जी को फोन किया कि आज सोमवार गुजर गया और ऑर्डर नहीं मिला ! “नहीं मिला ?” वह हैरान होकर बोले ! पीडब्ल्यूडी के अधिकारी ने क्या कहा- उनके यह पूंछने पर मैंने कहा कि मैं आपको जानता हूं किसी और को नहीं ! उस माद.....द से तो मैं अब दूसरे तरीके से निपटूंगा ! मोहंती जी थोड़ी देर मेरी बकझक सुनते रहे फिर बोले – निरंजन, यार ऐसा कर ! तूं अभी जाकर उसके घर में आग लगा आ ! जा !
मैंने कहा कि आग लगा कर जेल जाऊं !? इस पर मोहंती जी बोले- “तेरा कुछ नहीं होगा ! मैं गारंटी लेता हूं ! इस समय बाबरी मस्जिद पर देश भर में दंगे फसाद हो रहे हैं - उसी का बबाल माना जाएगा !...बता अब और मैं क्या कर सकता हूं !” दूसरे दिन प्रेस क्लब के आवास का आबंटन पत्र हमारे तत्कालीन सचिव डॉ.इलियास सिद्दीकी को मिल गया ! सिद्दीकी ने मुझे बताया कि मेरे सामने संबंधित अफसर कलेक्टर साहब को आदेश थमाने आया तब साहब ने उससे कहा कि रात में निरंजन को मैंने रोका ! तेरे घर आग लगाने आ रहा था !
बहरहाल ; यह तो मेरे बचकानेपन और उनके मजाहिया स्वभाव की बात थी परन्तु इस बात में कोई संशय नहीं कि मोहंती काबिल अफसर हैं ! उन पर कुछ आरोप भी पढ़ने-सुनने में आये पर योजना, कार्य-कृियान्वयन की उनकी काबिलियत से इनकार नहीं किया जा सकता ! उम्मीद है कि सेवानिवृत्ति के बाद भी कमलनाथ जी उनकी क्षमता का उपयोग विद्युत बोर्ड या किसी अन्य फील्ड में करेंगे जैसे कि एक बार दिग्विजय सिंह ने कृपाशंकर शर्मा जी की सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें राज्य शासन के सलाहकार के तौर पर नियुक्त कर लिया था !