*बेमौसम बरसात से बचाने के लिये कोई व्यवस्था नही लाखों क्विंटल धान सड गई.....जिला प्रशासन,केन्द्रीय सहकारी बैंक और मार्कफेड ने धान को सुरक्षित रखने के लिये पर्याप्त इंतजाम नही किये......जांच के नाम पर लीपापोती कर दी जायेगी....प्रशासन,प्रबंधन की लापरवाही के चलते करोडों रूपये की धान सडने की कगार पर पहुंचा दी.....*
आनंद ताम्रकार बालाघाट अभीतक जिले में प्रशासन और सहकारी बैंक के प्रबंधन की लापरवाही के चलते खुले आसमान के नीचे असुरक्षित ढंग से रखी लाखों क्विंटल धान सड गई। सडी हुई धान को नये बोरों में भर कर उसे खपाने की कवायद की जा रही है।
खुले आसमान के नीचे असुरक्षित ढंग से रखी लाखों क्विंटल धान सड गई
यह उल्लेखनीय है की जनवरी माह के अंत तक 40 लाख क्विंटल धान खरीदी गई जिसमें से लगभग 17 लाख धान परिवहन नही की जा सकी। शेष धान को बेमौसम बरसात से बचाने के लिये कोई व्यवस्था नही की गई जिसके चलते लगातार बारिश के चलते धान गीली हो गई और सड गई उसमें अंकूरण हो गया।
प्रदेष के सर्वाधिक धान उत्पादक बालाघाट जिले में हर वर्ष भारी मात्रा में धान खरीदी जाती है इसके बावजूद जिला प्रशासन,केन्द्रीय सहकारी बैंक और मार्कफेड ने धान को सुरक्षित रखने के लिये पर्याप्त इंतजाम नही किये इसकी आड़ में सहकारी समितियों ने मानक स्तर के विपरित अमानक धान खरीदी और वजन बडाये जाने के लिये धान में मिट्टी और रेत मिला दी गई।
लालबर्रा क्षेत्र के अतर्गत अनेक सहकारी समितियों ने हजारों क्विंटल धान अभी भी खुले आसमान के नीचे रखा है जो सड चूकी है। सडी धान को मिलिंग के लिये राईस मिलर्स को दिया जायेगा।
इसके एवज में राईस मिलर्स सडी धान लेकर मानक स्तर का चांवल कैसे प्रदाय करेगें?
जिला विपणन अधिकारी अर्पित तिवारी ने स्वीकार किया की इस वर्ष सहकारी समितियों में खरीदी गई धान को बारिश से बचाने के लिये सुरक्षा के प्रबंध नही किये गये जिसके कारण भारी मात्रा में धान भीग गई और सड गई।
इस तरह प्रशासन,प्रबंधन की लापरवाही के चलते करोडों रूपये की धान सडने की कगार पर पहुंचा दी गई इस विसंगति के लिये कौन जिम्मेदार है इसकी जांच के नाम पर लीपापोती कर दी जायेगी।