>**शीर्षाशन **===========

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शीर्षासन के बिना चैन कहाँ ,न आदमी को और न भगवान को शीर्षासन एक योगासन है लेकिन इसे मुहाबरा बने हुए भी युग हो गया है .सरकार जनता को शीर्षासन कराती है तो जनता राजनितिक दलों को .हमारे यहां तो पतंजलि को ठेंगा दिखाते हुए उनके भक्तों ने बाकायदा शीर्षासन की दूकान ही नहीं २५ हजार करोड़ का उद्योग ही खड़ा कर लिया कहते हैं जिसे शीर्षासन करना आता है उसका माथा कभी नहीं फिरता.फिरता है तो ऐसा फिरता है की फिर कभी ठिकाने पर नहीं आता .शीर्षासन के शाब्दिक अर्थ भी भिन्न हैं.एक है सर के बल आसन करना और दूसरा है सर पर बैठकर आसन करना अपनी-अपनी पसंद के अनुसार लोग इस आसन का इस्तेमाल करते हैं. कुछ सर के बल आसन करते हैं तो कुछ सर पर बैठकर आपका पाला कैसे योगियों से पड़ता है,ये आप जानें लेकिन हमें तो सर के बल आसन लगाने वाले ही भाते हैं .सर पर बैठकर आसन करने वालों को कौन पसंद करता है .लोगों ने हिंदुस्तान में इंदिरा गांधी को नहीं छोड़ा ,फिर आप तो हैं ही किस बागान की चाय ?शीर्षासन के अनेक फायदे हैं .इस आसन की मुद्रा में आप किसी के बाथरूम में झाँक सकते हैं वो भी अपनी नजर उठाये बिना ,किसी को चिढा सकते हैं मर्जी आपकी की आप क्या करना चाहते हैं .इस आसन में शरीर का सारा रक्त सर में जमा हो जाता है जिससे सर मजबूत होता है लेकिन ये खतरनाक आसन भी है, जिनका रक्त तेज गति से प्रवाहमान होता है उन्हें ये आसन अब्बल तो करना ही नहीं चाहिए और जो करना ही चाहते हैं तो उन्हें कोई काबिल प्रशिक्षक खोज लेना चाहिए अन्यथा नफा कम नुक्सान ज्यादा हो सकता है. बाबा ऑंखमिचकी को तो नफा ही नफा हुआ है लेकिन जनता को नुक्सान ही नुक्सान ,खैर अपने हिंदुस्तान में गणपति जी को शीर्षासन करते तो देखा नहीं होगा लेकिन वे हमें सात हजार किमी दूर इंडोनेशिया में शीर्षासन करते मिल गए .हमने भी उन्हें चुपके से अपने कैमरे में कैद कर लिया .क्या आप भी ऐसा आसन लगा सकते हैं ?
@राकेश अचल