*विश्व अग्निहोत्र दिवस पर विशेष-के सी शर्मा*
अग्निहोत्र पर्यावरण के लिए अत्यंय लाभकारी है, साथ ही हमारे तन-मन पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
वेदकाल से भारत में यज्ञकर्म किए जाते हैं। भारतीय संस्कृति में यज्ञयागों का आध्यात्मिक लाभ तो है ही, परंतु वैज्ञानिक स्तर पर भी अनेक लाभ होते हैं, यह अब विज्ञान द्वारा सिद्ध हो रहा है। इसमें एक सहज सरल और प्रतिदिन किया जाने वाला यज्ञ है अग्निहोत्र।
अग्निहोत्र नियमित करने से वातावरण की बड़ी मात्रा में शुद्धि होती है। इतना ही नहीं, उसे करने वाले व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि भी होती है साथ ही वास्तु और पर्यावरण की भी रक्षा होती है।
अग्निहोत्र के कारण निर्माण होने वाले औषधियुक्त वातावरण के कारण रोगकारक किटाणुओं के बढने पर प्रतिबंध लगता है तथा उनका अस्तित्व नष्ट होने में सहायता होती है। इसलिए ही वर्तमान में जगभर में उत्पात मचाने वाले ‘कोरोना वायरस’ के संकट पर ‘अग्निहोत्र’ एक रामबाण उपाय हो सकता है।
अग्निहोत्र करने के लिए किसी भी पुरोहित को बुलाने की, दान धर्म करने की आवश्यकता नहीं होती। इसके लिए कोई भी बंधन नहीं है। सामान्य व्यक्ति यह विधि घर, खेत, कार्यालय में मात्र 10 मिनट में कहीं भी कर सकता है। इसका खर्च भी अत्यल्प है। अग्निहोत्र नित्य करने से धर्माचरण तो होगा ही, परंतु पर्यावरण के साथ ही समाज की भी रक्षा होगी।
अग्निहोत्र’ के संदर्भ में अनेक वैज्ञानिक प्रयोग किए गए हैं। उसकी विपुल जानकारी इंटरनेट के माध्यम से हम प्राप्त कर सकते हैं। फ्रान्स के ट्रेले नाम के वैज्ञानिक ने हवन पर किए अनुसंधान में हवन करने से वातावरण में 96 प्रतिशत घातक विषाणु और किटाणु कम होना दिखाई दिया है; उस विषय में ‘एथ्नोफार्माकोलॉजी 2007’ के जर्नल में शोधनिबंध प्रकाशित हुआ था।
अग्निहोत्र की विभूति किटाणूनाशक होने से घाव, त्वचारोग इत्यादि के लिए अत्यंत उपयुक्त है। पानी के किटाणु और क्षार का प्रमाण 80 से 90 प्रतिशत कम करती है। इसलिए अमरीका, इंग्लैंड, फ्रान्स जैसे 70 देशों ने अग्निहोत्र का स्वीकार किया है।
कैसे करें अग्निहोत्र ??
सर्वसाधारण तरीका जिससे हर कोई करे और पर्यावरण तथा तन-मन को स्वस्थ सुरक्षित बनाये।
देशी गाय माता के उपले पर घी और देशी कपूर (भीमसेनि) डालकर अग्नि से प्रज्ज्वलित करें।
अग्नि प्रज्ज्वलित कर हवन सामग्री, अथवा घी में मिलाएं अक्षत से आहुति दीजिए।
सूर्योदय के समय :-
१. सूर्याय स्वाहा सूर्याय इदम् न मम।
२. प्रजापतये स्वाहा प्रजापतये इदम् न मम।
सूर्यास्त के समय :-
१. अग्नये स्वाहा अग्नये इदम् न मम।
२. प्रजापतये स्वाहा प्रजापतये इदम् न मम।
अग्निहोत्र के लिए आवश्यक सामग्री :-
चुटकी अखंड अक्षत।
गाय का घई।
देशी कपूर।
निश्चित माप का अर्ध पिरामिड के आकार का ताम्रपात्।
गाय के गोबर के उपले
अग्नि का स्रोत (दियासलाई)।
आइए रोज अग्निहोत्र कर पर्यावरण और समाज कल्याण में सहभागी बनें और जीवनु विष्णु (वाइरस) आदि को नष्ट करें।