*बिखर गई कांग्रेस के युवराज राहुल गाँधी की यार मंडली*!


 ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश से की शुरुवात। 
अब राजस्थान में सचिन पायलट की बारी...!!!


दूसरे राजनीतिक दलों एवं संवैधानिक पदों पर बैठे लोंगो की संदिग्ध मौत तो कांग्रेसियों और उनके दरबारी पत्रकारों को दिखती है,परन्तु अपने दल कांग्रेस में और स्वयं गाँधी परिवार में हुई असमय में संदिग्ध मौत पर वो चुप हो जाते हैं। सवाल उठाने की बात तो दूर रही। इन सबके बावजूद सवाल तो उठता है,पर उठाए कौन...???


जस्टिस लोया के हार्ट अटैक से निधन पर तमाम तरह की कहानियां गढ़ने वाली कांग्रेस की चांडाल चौकड़ी कभी यह कहानी क्यों नहीं गढ़ी कि जिस जिस कांग्रेसी नेता ने गांधी परिवार को नेतृत्व में चुनौती दिया है या चुनौती देने की कोशिश किया,उसकी असमय मौत कैसे होती चली गई...???


सोनिया गांधी के खिलाफ सबसे पहले पर्चा भरने वाले थे स्वर्गीय राजेश पायलट। स्वर्गीय राजेश पायलट कार से राजस्थान में कहीं जा रहे थे,अचानक रांग साइड से ट्रक आता है और उनकी कार में तेजी से टक्कर मारता है जिससे उनका निधन हो जाता है। उस दुर्घटना पर कोई सवाल कभी किसी ने नहीं उठाए। क्योंकि उस वक्त राजस्थान में और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। इसलिए सम्पूर्ण मामले की लीपापोती कर दी गई...!!!


कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अध्यक्ष पद पर दूसरी चुनौती देने वाले थे,स्वर्गीय जितेंद्र प्रसाद। उन्होंने भी ऐलान किया था कि वह कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे। घोषणा से महज 3 महीने के बाद उनका असमय निधन हुआ,लेकिन जिस तरह से उनकी मौत हुई वो किसी के गले नहीं उतरी। परंतु किसी ने उनकी संदिग्ध मौत पर सवाल नहीं खड़े किए। जितेंद्र प्रसाद की मौत की आज भी ईमानदारी से जाँच करा दी जाए साबित हो जायेगा कि जितेंद्र प्रसाद की मौत प्राकृतिक नहीं थी...!!!


उत्तर_प्रदेश के लोकसभा चुनाव-2019 में जितेंद्र प्रसाद के लड़के जितिन प्रसाद भी कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में जाने के लिए एकदम तैयार बैठे थे। जितिन प्रसाद लोकसभा टिकट से नाराज थे। जितिन प्रसाद की नाराजगी होने और भाजपा में जाने की अटकलें मीडिया में लीक हो गई तो जानकारी होने पर राहुल गाँधी जितिन प्रसाद के घर पहुँचे और उन्हें अपने साथ लेकर एयरपोर्ट चले गए। राहुल गाँधी अपनी मित्रता और कांग्रेस से जितिन प्रसाद और पिता जितेंद्र प्रसाद के रिश्ते की दुहाई देकर उन्हें तो मना लिया परन्तु जितिन प्रसाद बाद में बहुत प्रायश्चित किए कि उन्होंने निर्णय लेने में भूल की। उन्हें कांग्रेस का दामन छोड़ देना था...!!!


राहुल गाँधी के तीन यारों में से एक यार ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश से कांग्रेस से अपना हाथ छुड़ाकर कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया है। भाजपा में चले गए है। 
अब मध्य प्रदेश के बाद बारी आती है राजस्थान की जहाँ सचिन पायलट के कंधों पर गहलोत सरकार टिकी हुई है। क्योंकि सचिन पायलट भी राजस्थान का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और सचिन पायलट भी सोनिया गाँधी के लाडले राहुल गाँधी के यार हैं।
 यदि सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो मध्य प्रदेश की हाल होने से कोई रोक नहीं सकता...!!!


राजीव गाँधी की मौत के बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए सबसे बड़ा खतरा उभर कर सामने आए थे,माधवराव सिंधिया। क्योंकि कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से दुखी होकर माधवराव सिंधिया खुद कांग्रेस में अपनी नई पार्टी बनाने या फिर गांधी परिवार को चैलेंज देने के मूड में थे। 
उन्हें एक चुनाव प्रचार के सिलसिले में दिल्ली से कानपुर जाना था। उनके साथ उसी विमान में मणिशंकर अय्यर, दिग्विजय सिंह और शीला दीक्षित को भी जाना था, लेकिन अचानक सोनिया गांधी का फोन आता है और मणि शंकर अय्यर, शीला दीक्षित और दिग्विजय सिंह अपना जाना कैंसिल कर देते हैं। 
माधवराव सिंधिया अकेले जाते हैं। उनका विमान कानपुर से पहले मैनपुरी के पास क्रैश हो जाता है और माधवराव सिंधिया का दुखद निधन हो जाता है। चालाक लोमड़ी की भाँति सोनिया गाँधी भी मृत हुए जितेंद्र प्रसाद, माधवराव सिंधिया और राजेश पायलट के राजनीतिक उत्तराधिकारियों को राजनीतिक विरासत संभालने के लिए आगे लाया और अपने लाडले राहुल गाँधी से उनकी मित्रता की पेंग बढ़ाई ताकि उन्हें अपने पिता की मौत पर किसी तरह का शक सूबा न हो...!!!


ऐसे में सोनिया गांधी को लगने लगा था कि माधवराव सिंधिया का बेटा ज्योतिरादित्य सिंधिया जो उनके बेटे राहुल गाँधी के लिए राजनीतिक खतरा बनता जा रहा था। सोनिया गाँधी का सोचना लाजमी है कि उनके न रहने पर राहुल गाँधी का कद ज्योतिरादित्य सिंधिया से कम हो सकता है। जिस तरह से ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद और जनाधार बढ़ रहा था, वह भविष्य में राहुल गांधी के लिए खतरा बन सकते हैं। इसीलिए मध्य प्रदेश की कमान कमलनाथ के हाथ में सोनिया गाँधी ने दे दिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया को एकदम से साइड में कर दिया गया। ज्योतिरादित्य को कमलनाथ की सरकार में राजस्थान गहलोत सरकार में सचिन पायलट की न तो उप मुख्यमंत्री बनाया गया, न राज्यसभा भेजा गया और न ही प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी गई। सोनिया गाँधी सिर्फ अपने बेटे राहुल गाँधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की मित्रता को ढाल बनाकर अभी तक उपयोग किया। ताकि तंग आकर ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद ब खुद कांग्रेस को छोड़कर चले जाए और राहुल गाँधी का भविष्य साफ बना रहे...!!!


जरा सोचिए द क्विंट, रवीश कुमार, बरखा दत्ता, द वायर जैसे पोर्टल जो जस्टिस लोया के निधन पर हजारों तरह की कहानियां बनाते हैं और उनकी मौत को संदिग्ध बताकर निष्पक्ष जाँच की बात करते हैं,जबकि जस्टिस लोया के घर वाले कह रहे हैं कि हमारे पिता दिल के मरीज थे और उनका निधन प्राकृतिक था। खुद सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि जस्टिस लोया का निधन प्राकृतिक था। ये कांग्रेसी मनसिकता के वशीभूत पत्रकारों के दिमाग में कभी इंदिरा गाँधी की मौत संदिग्ध नहीं लगी जबकि कुछ ही दूर पर सोनिया गाँधी मौजूद थी और इंदिरा गाँधी के सुरक्षा गार्ड सिर्फ इंदिरा गाँधी को गोलियों से भून डालते हैं और उनकी गोली का निशाना सोनिया गाँधी और उनके दोंनो बच्चे राहुल गाँधी व प्रियंका पर नहीं पड़े। राजीव गाँधी की मौत के बाद जिस तरह सोनिया गाँधी अपने पति राजीव गाँधी के हत्या में अदालत से दोषी पाए जाने के बाद हत्यारों को माफ कर दिया क्या उस पर सवाल नहीं खड़ा होता ? सास इंदिरा गाँधी,पति राजीव गाँधी सहित माधवराव सिंधिया, जितेंद्र प्रसाद और राजेश पायलट की संदिग्ध मौत पर कोई सवाल क्यों नहीं उठा ? उनकी संदिग्ध मौत की स्टोरी आजतक क्यों नहीं बनाये...???