दिग्विजय सिंह के करीबी कम्प्यूटर बाबा खोल रहे हैं रेत के अवैध खनन की पोल


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०-अवधेश पुरोहित
भोपाल। (हिन्द न्यूज सर्विस)। एक ओर जहां कमलनाथ और उनके मंत्रीमण्डल के सदस्यों के साथ-साथ कांग्रेसी नेता पूर्व सरकार की तरह प्रदेश में खनिज के कारोबारियों को संरक्षण देने में रुचि पैदा कर प्रदेश में रेत के अवैध उत्खनन के कारोबार को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं तो वहीं इस रेत के अवैध कारोबार से होने वाले पुलिस के एसपी और आईजी के द्वारा की जाने वाली अवैध वसूली की कमाई के हिस्से में से कमलनाथ मंत्रीमण्डल के एक मंत्री बंटवारा करने में लगे हुए हैं यही नहीं कमलनाथ मंत्रिमण्डल के कई मंत्रियों जिसमें मुख्यमंत्री से जुड़े पीसी शर्मा पर हरदा और होशंगाबाद जिले के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने अवैध रेत के कारोबारियों से सांठगांठ करने तक के आरोप लगाये हैं यही नहीं इसी होशंगाबाद व हरदा जिले के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने तो पीसी शर्मा पर रेत के अवैध कारोबारियों को संरक्षण देने को लेकर कई बार झड़प तक हो चुकी है, जिस प्रदेश में एक ओर जहां सरकार अवैध रेत खनन के माफियाओं को खत्म करने का दावा मुख्यमंत्री से लेकर सरकार द्वारा जारी बड़े-बड़े विज्ञापनों के माध्यम से किया जा रहा हो वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी नामदेव त्यागी उर्फ कम्प्यूटर बाबा जो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के इशारे पर कम्पयूटर बाबा ने राज्यमंत्री का पद छोड़ कांग्रेस का दामन थामा था इसके बाद बाबा ने दिग्विजय ङ्क्षसह के मार्गदर्शन पर विधानसभा चुनाव में खुलकर कांग्रेस प्रचार किया बल्कि जब दिग्विजय सिंह लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी के रूप में उतरे थे तो बाबा अपने सैंकड़ों साधु-संतों, जोगियों और मंदिर पर बैठने वाले भिक्षुओं को एकत्रित कर राजधानी में पहुंच गये थे और इन लोगों ने अच्छी दान-दक्षिणा का लालच देकर भोपाल लाये थे लेकिन यहां केवल साधुओं को रिझाने के लिये मजबूर किया गया बल्कि बाबाओं के हाथ में कांग्रेस की तख्तियां पकड़ाकर शहर की सड़कों पर दिग्विजय सिंह के लिये प्रचार करवाया गया। इससे नाराज होकर कुछ बाबाओं ने कम्प्यूटर बाबा की पोल खोल दी थी और कार्यक्रम के बीच से ही उठकर चले गये थे। सूत्र बताते हैं कि चुनाव पूर्व दिये गये अपने वचन को पूरा करने के लिये दिग्विजय सिंह ने ही उन्हें नदी न्यास का अध्यक्ष बनवा दिया, हालांकि बाबा तीन नदियों नर्मदा, क्षिप्रा और मंदाकिनी के न्यासों के अध्यक्ष हैं लेकिन बाबा प्रदेश की सभी नदियों में पहुंचकर सिर्फ रेत के ठिकाने तलाशते फिर रहे हैं उनकी इस तरह की गतिविधियों को देखकर अब भाजपा को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नमामि देवी नर्मदा यात्रा याद आने लगी जिस यात्रा की घोषणा करने के कुछ ही देर बाद जब वह भाजपा के प्रदेश कार्यालय में आने वाले थे तो वहां उपस्थित अधिकांश भाजपा नेता शिवराज सिंह की इस नमामि देवी नर्मदे यात्रा को यह कहकर नया नाम देने में लगे हुए थे कि यह नमामि देवी नर्मदे यात्रा नहीं बल्कि अपने परिजनों और उनसे जुड़े लोगों के लिये रेत खोजा यात्रा का नामांतरण करने में लगे हुए थे। कप्म्यूटर बाबा के पूरे प्रदेश में इस तरह के रेत घाट खोजो मुहिम के दौरान कई रेत के ठेकेदार बाबा के नाम पर उनके चेलों को दो लाख रुपये प्रति घाट के हिसाब से अवैध वसूली करने का आरोप भी लगाने से नहीं चूक रहे हैं। इस तरह की शिकायत मुख्यमंत्री ही नहीं खनिज मंत्री के पास पहुंची तो उन्होंने मुख्यमंत्री और बाबा के कांग्रेस में राजनैतिक संरक्षक दिग्विजय सिंह को इसकी जानकारी दी लेकिन मजे की बात तो यह है कि न तो दिग्विजय सिंह और न ही दिग्विजय सिंह के दबाव के चलते मुख्यमंत्री द्वारा बाबा पर न तो कोई कार्यवाही की गई और न ही इस तरह की उनके द्वारा अवैध रेत खनन के खिलाफ मुहिम चलाने पर पाबंदी लगाई गई क्योंकि यह सभी जानते हैं कि कमलनाथ की सरकार को कौन चला रहा है? इसको लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं तो वहीं वन मंत्री उमंग सिंगार द्वारा दिग्विजय सिंह को पर्दे के पीछे सरकार चलाने का आरोप तक लगाने से नहीं चूके थे हालांकि उमंग सिंगार द्वारा दिग्विजय सिंह पर लगाये गये आरोप को लेकर जो तूफान भोपाल से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी तक इस मुद्दे पर तूफान खड़ा हुआ था और उमंग सिंगार पर अनुशासन समिति द्वारा कार्यवाही करने की बात कही गई थी, चूंकि मामला गंभीर था और यह कमलनाथ से लेकर दीपक बावरिया और सोनिया गांधी तक जानती हैं कि प्रदेश की सरकार सिर्फ और सिर्फ यदि कोई चला रहा है तो वह हैं दिग्विजय सिंह, इस तरह का खुलासा स्वयं कमलनाथ के प्रबल समर्थक और उनके मंत्रिमण्डल में शामिल लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने भी अनेकों बार यह कहकर कि पहले जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो कमलनाथ से दिल्ली जाकर सलाह लिया करते थे और आज जब कमलनाथ मुख्यमंत्री हैं तो वह दिग्विजय सिंह से सलाह लेते हैं इससे यह साफ जाहिर हो जाता है कि पर्दे के पीछे से सरकार का संचालन दिग्विजय सिंह कर रहे हैं लेकिन उसी कमलनाथ सरकार के मंत्रियों की अवैध रेत खनन की कमाई की आखिर वह पोल अपने करीबी कम्प्यूटर बाबा से क्यों खुलवाने में लगे हुए हैं? इस लाख टके के सवाल को खोजने में हर कोई लगा हुआ है कि आखिर कम्प्यूटर बाबा अवैध रेत खनन के कारोबार को उजागर करने में रुचि किसके कहने पर ले रहे हैं तो वहीं रेत से जुड़े तमाम ठेकेदार उनके चेलों द्वारा दो-दो लाख रुपये प्रति घाट के हिसाब से अवैध वसूली करने का आरोप लगा रहे हैं उसकी भी जांच इसलिये नहीं हो रही है क्योंकि यह मामला दिग्विजय सिंह के करीबी कम्प्यूटर बाबा से जुड़ा हुआ है हालांकि बाबा की इस तरह की गतिविधियों से सरकार की छवि खराब हो रही है और अगर कोई सबसे ज्यादा परेशान हैं तो वह हैं खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल की बात जायसवाल की करें तो जायसवाल ने कम्प्यूटर बाबा की तर्ज पर एक अधिकारी नियुक्त रखा था हालांकि उसका हनीटै्रप में नाम आने के कारण उसे कागजों में तो हटा दिया गया लेकिन वह भी शिवराज सरकार के तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा के पीए राजेन्द्र सिंह की तरह पूरा कारोबार आज भी वह विधिवत रूप से देख रहे हैं और वह भी वही काम करने में लगे हुए हैं जिसको लेकर कम्प्यूटर बाबा के चेलों पर रेत के ठेकदार आरोप लगा रहे हैं प्रदीप जायसवाल की बात करें तो जायसवाल भले ही कम्प्यूटर बाबा की इस तरह की गतिविधियों से परेशान हों और यह कह रहे हों कि कम्प्यूटर बाबा वैज्ञानिक नहीं हैं और न ही उन्हें तकनीकी ज्ञान है लेकिन हकीकत तो यह है कि रेत के कारोबार में पारदर्शिता दिखाने का दावा कर उसके ठेके में पारदर्शिता का दावा किया जा रहा हो लेकिन रेत के ठेके देने के पहले प्रदीप जायसवाल के बंगले से जिले के कलेक्टरों को कितने फोन लगे यह तो उनके निवास के फोन और वहां तैनात अधिकारियों के मोबाइल फोनों की जांच कराने पर खुलासा हो सकेगा कि प्रदीप जायसवाल के बंगले पर उन दिनों और आज कलेक्टरों को फोन उनके बंगले के दूरभाषों और वहां तैनात अधिकारियों के मोबाइल से किसके लिये किये जाते हैं और इस तरह के फोन का मुख्य उद्देश्य क्या रहता है, इसकी चपेट में आकर कई जिलों के कलेक्टरों तक के स्थानान्तरण किये गये उसका मुख्य उद्देश्य रेत के अवैध खनन से जुड़े हुए थे चाहे वह अपने चहेते ठेकेदारों को ठेका दिलाने का ही क्यों न हो? मजे की बात तो यह है कि जिन कम्प्यूटर बाबा की इस तरह की गतिविधियों के कारण जल पुरुष राजेन्द्र सिंह भी बाबा को खनिज माफिया बता चुके हैं तो वहीं दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह भी बाबा की गतिविधियों को लेकर कई बार गंभीर आरोप लगा चुके हैं लेकिन इसके बाद भी बाबा की गतिविधियां बंद न होने को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं और हर कोई इस प्रश्न की खोज में लगा हुआ है कि आखिर दिग्विजय सिंह के करीबी कम्प्यूटर बाबा किसके इशारे पर रेत से जुड़े अवैध खनन के मामले का खुलासा करने में लगे हुए हैं? बाबा की इस तरह की गतिविधियों से जहां सरकार की तो बदनामी हो रही है तो कई मंत्रियों और कांग्रेसी नेताओं की इस रेत के कारोबार से जुड़े होने की पोल भी खुल रही है देखना अब यह है कि दिग्विजय सिंह के करीबी कम्प्यूटर बाबा कब तक अवैध रेत खनन के चल रहे सरकारी संरक्षण में चल रहे इस कारोबार के खिलाफ जंग छेड़कर कमलनाथ के माफियाओं के खिलाफ मुहिम की हकीकत उजागर करते रहेंगे?