पटवारीयों को बनाया परीक्षा केंद्र प्रभारी, तानाशाही से परेशान पटवारी

विभागीय कामों की अधिकता के बावजूद पटवारीयों को बनाया परीक्षा केंद्र प्रभारी, अधिकारी की तानाशाही से परेशान पटवारी


पटवारीयों पर चल रहे प्रताड़ना के दौर में देवास जिले के सोनकच्छ अनुविभाग के अनुविभागीय अधिकारी कुछ आगे ही निकल गए हैं। उन्होंने पटवारियों के मूल विभागीय कार्यों से अलग हटकर माध्यमिक शिक्षा मंडल की चल रही बोर्ड परीक्षाओं में परीक्षा केंद्र प्रभारी नियुक्त कर दिया है। 


2 मार्च से प्रारंभ हुई माध्यमिक शिक्षा मंडल की बोर्ड परीक्षाओं में पटवारियों की ड्यूटी लगाने का यह मामला देवास जिले के सोनकच्छ अनुविभाग का है जहां अनुविभागीय अधिकारी द्वारा परीक्षा केंद्रों पर पटवारियों की बाकायदा नामजद ड्यूटी परीक्षा केंद्र प्रभारी के रूप में लगाई है। परीक्षा केंद्रों पर रिजर्व दल सहित 23 पटवारियों की ड्यूटी लगाई गई है जिसमें निर्देशित किया है कि माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षाओं में परीक्षा केंद्र प्रभारी अपने आवंटित परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा प्रारंभ होने के 30 मिनट पूर्व से लेकर परीक्षा समाप्त होकर उत्तर पुस्तिका सील होने तक पूरे समय उपस्थित रहेंगे। लगाए गए पटवारी परीक्षा केंद्र प्रभारी व नोडल अधिकारी जीएस पटेल तहसीलदार सोनकच्छ के मार्गदर्शन में काम संपादित करेंगे और उन्हें प्रतिदिन अवगत कराएंगे।


काफी संख्या में पटवारियों की ड्यूटी परीक्षा केंद्रों पर लगाए जाने से मूल विभागीय कार्य तो प्रभावित ही होंगे साथ ही किसानों और आम जनता को भी परेशान होना पड़ेगा। पटवारीयों पर वैसे ही अभी काम का अत्यधिक बोझ है किंतु इसके बावजूद भी पटवारियों को परीक्षा केंद्र पर लगाए जाना समझ से परे है। परीक्षा केंद्रों पर लगाए गए पटवारियों की ड्यूटी उनके हलकों से हटकर अन्य दूसरे स्थानों पर लगाई गई है और इसके लिए ना तो पटवारियों को कोई मानदेय दिया जाएगा ना ही उन्हें अपने मूल विभागीय कार्यों को करने के लिए प्रथक से समय। 


गौरतलब है कि वर्तमान समय में पटवारियों के पास फसल कटाई प्रयोग के साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना गेहूं फसल उपार्जन सत्यापन सहित अनेकों कार्य ऐसे हैं जो कि वर्तमान समय में ही किए जाना आवश्यक है इन सब की जानकारी होने के बावजूद भी एसडीएम सोनकच्छ द्वारा शिक्षकों को छोड़ पटवारियों की ड्यूटी परीक्षा केंद्रों पर लगाया जाना चर्चा का विषय है। वैसे भी देखा जाए तो उक्त कार्यों के लिए सरकार का पटवारियों पर काफी दबाव है क्योंकि यह ऐसे कार्य है जो समय पर पूर्ण नहीं हुए तो किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। जब पटवारी सुबह से लेकर शाम तक परीक्षा केंद्रों पर ड्यूटी करेगा तो वह कैसे किसानों के उक्त कार्य कर पाएगा। इसके साथ ही कुछ ऐसे सवाल भी हैं जो भी विचारणीय है जैसे कि -
1. परीक्षा में पटवारी की क्या भूमिका...?
 
2. हल्का मुख्यालय पर केंद्र नहीं है, फिर भी दूसरे हल्के पर ड्यूटी पर पटवारी है तो क्या पटवारी को इसके अतिरिक्त कोई भुगतान होगा 
यदि नहीं तो क्यों ?


3. जबकि शिक्षक उसी स्कूल का है, उसे फिर परीक्षा ड्यूटी में अलग भत्ता दिया जाता है तो फिर पटवारी को क्यों नहीं जबकि  गजेटेड अधिकारी का आदेश है...?


4. क्या 1 महीने तक पटवारी को अपने विभाग से भिन्न विभाग में डेपुटेशन पर भेजा गया है ...?


5. जिस प्रकार time table है उस हिसाब से तो सुबह 9.00 बजे से शाम 4.00 बजे तक पटवारी की ड्यूटी है। क्या एक महीने तक परीक्षा के  चक्कर में उलझे रहे पटवारी दूसरा काम नहीं करे ?


6. क्या पटवारी को इसका मेहनताना  दिया जाएगा जिस प्रकार परीक्षा में ड्यूटी के दौरान शिक्षक को दिया जाता है ?


पटवारियों को प्रताड़ित करने की मानसिकता बना चुके अधिकारियों को इन प्रश्नों से और इन बातों से क्या लेना देना की पटवारी कैसे अपने मूल कामों के साथ इस कार्य को करेगा उन्हें तो बस अपना दामन बचाने के लिए एक कंधा चाहिए जो उन्हें पटवारी के रूप में ही दिखता है यदि परीक्षा के दौरान कोई गड़बड़ी होती है तो इसका आरोप लगाकर पटवारियों को दंडित कर दो और खुद बच जाओ यदि मूल विभागीय कार्य में कोई गलती होती है या फिर कार्य समय पर नहीं होता है तो भी पटवारी को दोषी बताओ और निपटा दो। ऐसी ही मानसिकता के चलते पटवारियों को अपने मूल कामों के अलावा अन्य कामों में संलग्न कर दिया जाता है और बाद में उन्हें प्रताड़ना ही मिलती है।