*"रिलायंस", "एस्सार" और "एनटीपीसी" के बाद अब "हिंडाल्को" का राखड़ डैम भी बनता जा रहा ग्रामीणों का काल, महान विस्थापित एवं श्रमिक संघ ने जारी की चेतावनी*
*पढ़े, के सी शर्मा की एक खास रिपोर्ट,*
*सिंगरौली।मप्र।* सिंगरौली जिले में जिस तरह से राखड डैम टूटने का सिलसिला जारी है और साल भर में तीन परियोजनाओं के तीन विशालकाय ऐश डैम टूट चुके है।जिसका रिकार्ड बनता जा रहा है।
इससे ये साबित होता है कि अभी भविष्य में अभी और ऐश डैम के टूटने का नंबर आने बाकी हैं।
उक्त को ध्यान में रख महान विस्थापित एवं श्रमिक संघ के अध्यक्ष नारायण दास विश्वकर्मा का कहना है कि जिस तरह से "हिंडाल्को महान यूनिट"बरगवां ने सरकारी विभागों के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ग्राम गांगी में 500 हेक्टेयर में प्रस्तावित राखड़ डैम को न बनाकर अपनी तानाशाही के साथ कम्पनी प्रवंधन "घनी बस्ती" वाले गांव ग्राम "ओड़गड़ी" में बनाया गया है। उससे "ओडगड़ी" और आस पास के गांव की भोलीभाली ग्रामीण जनता त्रस्त होने को मजबूर है उनका जीना दूभर हो गया है और पूरा गांव असुरक्षित हो उठा है।जिससे हजारो ग्रामवासी भयाक्रांत है।
महान विस्थापित एवं श्रमिक संघ ने इन लाचार बस्ती वालों की व्यथा सुनते हुए बताया बताया है कि संघ एवं ग्रामीण अनेकों बार अपनी फरियाद स्थानीय प्रशासन सहित संबंधित सरकारी विभागों और हिंडाल्को प्रबंधन के समक्ष प्रस्तुत कर चुका है ।लेकिन कोई सुधि लेने वाला नजर नही आरहा है।जिससे विस्थापित ग्रामीण विभिन्न प्रकार की अप्रिय घटना घटने की आशंका से आशंकित है।इसके साथ ही डैम के रिसाव से भूजल व उड़ते जहरीले राख से लोग विभिन्न प्रकार की नई नई बीमारियों का वर्षों से शिकार हो कराह रहे है।
विस्थापित संघ ने सचेत करते हुए कहा है कि "ओडगड़ी" गांव की स्थित राखड़ डैम के चलते चिंताजनक एवं भयावह हो गयी है।जो बड़े हादसे को निमंत्रण देने जैसे हो गयी है।जिसकी ओर जिम्मेदार वेरुखी बनाये हुए इसकी अनदेखी कर रहे है।जिससे सुनियोजित खड़यँत्र का बू आना स्वभाविक ही है।
इस वजह से ग्रामीणों की स्थिति बहुत खराब होती जा रही है। डैम से होने वाला निरंतर रिसाव लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है। क्योंकि इससे सभी प्रकार के जल, वायु, मिट्टी प्रदूषण तो बढ़ ही रहा है साथ ही नजदीकी प्लांटों रिलायंस, एस्सार और एनटीपीसी के राखड़ डैमो की तरह इस डैम के फूटने(टूटने)की संभावना बढ़ती जा रही है।
ज्ञात हो कि मौजूदा हालात को देखते हुए जान पड़ता है कि सभी संबंधित जिम्मेदार एजेंसियां क्या एक बार फिर वैसा ही मंजर होने के इंतजार तो जाने अनजाने कर रही हैं?
क्योंकि विस्थापित संघ का कहना है कि पूर्व में इस संबंध में याचिकाएं दायर की गई थी। परिणाम स्वरूप "एनजीटी"
ने हिंडाल्को (महान) बरगवां से जबावतलब करते हुए पूछा था कि सिंचाई हेतु बनाए गए बांध को राखड़ डैम में परिवर्तित कर प्रदूषण क्यों फैलाया जा रहा है? लेकिन फिर भी कंपनी प्रबंधन ने अपने प्रभाव का प्रयोग कर नतीजा अपने पक्ष करा लिया और आम जनता देखती रह गयी और अब हतास, निराश,परेशान है।
विस्थापित संघ ने आरोप लगया है कि ऐसी दुर्घटनाआें का सरकारें भी बेसब्री से इंतजार किया करती हैं क्योंकि आम जनता की जिंदगी बस 5 से 10 लाख में तौल दी जाती है लेकिन सरकारें और उनके भ्रष्ट अधिकारी करोड़ों में खेलते हैं। ये प्राइवेट कंपनियां इन्हीं की झोली भरके निश्चिंत हो जाती हैं।
महान विस्थापित एवं श्रमिक संघ ने केंद्र एवं प्रदेश सरकार का इस ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए मांग किया है कि स्थानीय प्रशासन, "एनजीटी", पर्यावरण विभाग, हिंडाल्को प्रबंधन आदि सभी संबंधितों अपनी-अपनी जबावदेही तय करते हुए करारनामे के अनुसार डैम को निर्माण पूर्व प्रस्तावित जगह ग्राम "गांगी" में जल्द से जल्द शिफ्ट कराएं और इस डैम में तत्काल
राख का भराव बन्द करे।
इसके साथ ही परियोजना के विस्थापितों का कहना है कि वैसे भी हिंडाल्को कम्पनी करारनामा के अनुसार विस्थापन को लाभ देने में अक्षम हो चुकी है। इसलिए ओड़गड़ी में निर्मित डैमो को अतिशीघ्र बंद करके वह जमीन किसानों/प्रभावितों को वापस की जाय और उस जगह पर करारनामे के अनुसार ही पर्यावरण शुद्धि हेतु हरित पट्टिका का निर्माण कर ग्रामीणों का जीवन सुलभ बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाये। वरना इस संभावना से इनकार नही किया जासकता है कि अबकी बारी हिंडाल्को ऐश डैम की है।
देखना है कि सरकार,जिला प्रशासन व कम्पनी प्रवधन आगे क्या करता है?या "हाथ पर हाथ"रखे पूर्व की भांति "आँख मूदे" चुपचाप उक्त के भयावह पुनरावृति का इंतजार ही करता रहता है? जिस पर सबकी नजरें टकटकी लगाए टिकी हुई है।
*सम्पर्क सूत्र:-*
नारायण दास विश्वकर्मा
(अध्यक्ष)
"महान विस्थापित एवं
श्रमिक संघ", सिंगरौली म.प्र.
मो. 7697452914