अकबर के आने तक लगभग पूरे भारत पर पठानो , तुर्को, जो इस्लाम के अनुयायी थे, उनका पूर्णतः कब्जा हो चुका था । लेकिन आमेर के राजा मानसिंहजी ने मात्र 10 साल में तुर्की मुसलमानो की पूरी सल्तनत को उखाड़ कर फेंक दिया ।। मानसिंहजीव के इस एक्शन का रिएक्शन भी हुआ ।
ईरान का Shadman Empire ने कश्मीर के मूहम्मद मिर्जा हाकिम को खरीद लिया, Shadman empire चाहता था की वह भारत पर बड़ा आक्रमण करके वहां की अतुल्य संपदा को लूट ले ।।
इस लूट के लिए एक बड़ा गठबंधन बना, तुरान ( तुर्की से लेकर अफगानिस्तान की सीमा तक का क्षेत्र, जिसमे आजके लगभग 10 देश आ जाते है ) कश्मीर , ईरान ।। यह कुल मिलाकर पांच रियासतें बनती थी । अगर आज के विश्व मानचित्र के हिसाब से अगर देखे, तो तुर्की से लेकर कश्मीर तक कि पूरी मुस्लिम आबादी ने भारत के हिंदुओं के विरुद्ध जिहाद की घोषणा कर दी ।। यह सारी रियासतें एक हो भी गयी, क्यो की भारत से इनका पूरी तरह सफाया हो चुका था ।।
यह आक्रमण अगर सफल हो जाता, तो जितना नुकसान मूहम्मद कासिम से लेकर अब्दाली तक ने 1000 साल में नही किया, वह हानि मात्र एक हमले में हो जाती, क्यो की इनकी मदद करने के लिए भारत-पाकिस्तान के मुसलमान भी थे ही ।।
इस आक्रमण की खबर सुनकर अकबर घबरा गया, उसे पता था, की अगर यह आक्रमण सफल हुआ, तो सबसे पहले उसका गला काटा जाएगा, वह अपनी ऐशो आराम की जिंदगी खोना नही चाहता था ।।
उस समय आमेर नरेश मानसिंहजी कच्छवाह रावलपिंडी में थे, इस आक्रमण की खबर की भनक लगते ही खुद उनके होंश उड़ गए ।।
मानसिंहजी हमेशा स्वपन देखा करते थे, की जिस तुर्की के कारण भारत गुलाम बना, उस तुर्की को वह एक दिन जरूर कुचलेंगे । संकट को भी मानसिंहजी ने मंगल मान कर बड़ी हिम्मत से काम लिया ।।
मानसिंहजी ने सबसे पहले ईरान पर आक्रमण किया । यह आक्रमण रात्रि के अंधेर में हुआ । मानसिंहजी ने ईरान में वह विध्वंस मचाया, जो विध्वंश चंगेज खान भी नही कर सका ।।
मानसिंहजी कच्छवाह भूखे शेर की भांति कृपाण लेकर आगे बढ़ते ही रहें, ओर तुर्की तक के क्षेत्र को रौंद डाला, कुचल डाला । उसके बाद वह अफगानिस्तान का नम्बर आया ।
मानसिंहजी द्वारा किया गया यह नरसंघार इतना भयानक था, की अगले 300 साल तक ईरान, तुर्की ओर अफगानिस्तान अपने पांव पर खड़े ही नही हो पाए । shadman empire, तुर्क , अफगान, यह सब इतिहास बन चुके थे ।।
इससे भंयकर नरसंघार इतिहास में आजतक नही हुआ है, अशोक ने भी कलिंग में इतने आदमी नही मारे, जितना रक्तपात मानसिंहजी ने मुसलमानो का किया ।।
आप जो झण्डा इस पोस्ट की इमेज के साथ देख रहे है, यह उन पांच रियासतों के झंडे ही थे, जिन्हें उखाड़कर मानसिंहजी ले आये, ओर पांचों झंडों को मिलाकर एक झंडा बना दिया , ताकि आने वाली पीढ़ी अपने इतिहास पर गर्व कर सकें ।
स्रोत्र Akbarnama translate by H.beveridge
Muntakhab e taarikhi by bandauyuni
Rudalat ul tahrin (Persian )
Raja mansingh of amber by rajiv nain prasad
Yadunath sarkar ( history of jaipur )