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एक विषाणु है कोरोना, दूसरे विषाणुओं जैसा ,ज्यादा घातक है लेकिन ऐसा भी नहीं कि इससे पीड़ित इंसान को एकदम अछूत मान लिया जाये,उसका बहिष्कार कर दिया जाये या उसे दस्युओं की तरह देखा जाये ।कोरोना पीड़ितों को लेकर आज समाज का जो नजरिया है उसी की वजह से पीड़ित अपनी बीमारी छिपा रहे हैं,अस्पतालों से भाग रहे हैं और अब क्रूरता ऐसी की ऐसे भगोड़े कोरोना मरीजों को गोली मारने की मांग भी की जाने लगी है ।
समाज में ये क्रूरता आज से नहीं है लेकिन आज क्रूरता अपने सर्वाधिकविकृत स्वरूप में प्रकट हो रही है ।कोरोना से पहले भी दुनिया ने महामारियां देखीं है और आगे भी देखेगी लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि महामारी के पीड़ितों को उनके उपचार से पहले ही मार दिया जाये ।एक तरफ जहाँ जमातियों पर कोरोना को फैलाने की तोहमत है तो दूसरी तरफ दूसरे लोगों पर कोरोना छिपाने का आरोप भी है ।ऐसा शायद इसलिए हो रहा है कि कोरोना को असाध्य मान लिया गया है ,जबकि ऐसा है नहीं ।
आज की तारीख में जब आप ये लेख पढ़ रहे होंगे तब दुनिया में कोरोना संक्रिमतों की सांख्य २१८२८२3 हो चुकी है। इनमें से कोरोना 5४५५५१ को निगल भी चुका है लेकिन चिकित्स्कों ने ५४७५८९ मरीजों को कोरोना के जबड़े से बाहर भी निकाला है ।कहने का आशय ये है कि जिंदगी और मौत के बीच जंग सनातन है इसलिए कोरोना पीड़ितों को अछूत मानने के बजाय उनके प्रति सहानुभूति का प्रदर्शन करते हुए उनके इलाज में भरपूर सहयोग आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
मध्यप्रदेश के शिवपुरी शहर में कोरोना संक्रमित एक परिवार के ठीक हो जाने के बाद भी अपना मकान सिर्फ इसलिए बेचने के लिए विवश किया जा रहा है क्योंकि मुहल्ले ने उसका बहिष्कार कर दिया है,उसे दूध तक हासिल नहीं हो रहा।मुम्बई में , सोमवार को जिन 63 साल के बुर्ज़ुग की कोरोना वायरस के कारण मौत हो गई, उन्हें और उनके परिवार को सहयोग की जगह अपमान और छुआछूत का सामना करना पड़ा.
मुंबई में रहने वाले इस बुज़ुर्ग की मौत कोरोना वायरस से मौत का तीसरा मामला था. वो दुबई से वापस लौटे थे.
बीते दिनों में देशभर से ऐसी खबरें सामने आई थी जहां डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ पर मकान मालिक किराए के घर खाली करने का दबाव बना रहे थे.इन मकान मालिकों को लगता था कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की सेवा कर रहे डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ के कारण उनको भी यह बीमारी हो जाएगी.
अछूत घोषित होने के भय से ही शायद कोरोना वारियर्स पर देश के अनेक हिस्सों में हमले जैसी घ्रणित घटनाएं हुयी हैं ।इन सबको देखते हुए इस बात की महती आवश्यकता है कि हम जनता में जागरूकता फैलाएं और बताएं कि कोरोना संक्रामक बीमारी ही लेकिन ऐसी भी नहीं कि उससे बचा न जा सके ।एक तय दूरी बनाकर आप इससे बच सकते हैं और कोरोना के शिकार मरीज की सेवा भी कर सकते हैं ।
कोरोना से कहीं ज्यादा घृणित संक्रामक बीमारी एक जमाने में कोढ़ को माना जाता था लेकिन देश के राष्ट्रपित महात्मा गांधी से लेकर अनेक लोगों ने कुष्ठ पीड़ितों के बीच रहकर उनकी सेवा की ।सवाल ये है कि क्या आप कोरोना के शिकार बने अपने किसी प्रियजन के साथ भी वैसा ही व्यवहार कर सकते हैं जैसा कि अन्य के साथ कर रहे हैं ?सरकार के 'माउथपीस' बने समाचार चैनलों,अभिनेताओं,संगीतज्ञों और कलाकारों को कोरोना पीड़ितों को अछूत बनाये जाने के घ्रणित अभियान के खिलाफ भी आगे आना चाहिए अन्यथा स्थिति और भयावह हो जाएगी ।
आप तय मानिये कि कोरोना आज है लेकिन कल नहीं रहेगा लेकिन आपके द्वारा प्रदर्शित घृणा हमेशा बनी रहेगी ।मनुष्यता पर छाये इस महान संकट के दौर में मनुष्यता को बचाये रखने के लिए संवेदनाओं को भी मरने से बचाने की जरूरत है ,यदि समाज से संवेदना मर गयी तो कोरोना तो छोड़िये दूसरी ऐसी ही भयंकर बीमारियों का न इलाज हो पायेगा और न इन बीमारियों से पीड़ित लोगों को सदगति ही मिल सकेगी ।इस मामले में हमें अपने चिकित्स्कों , स्वास्थ्य कर्मियों,पुलिस और प्रशासन के अमले के साथ ही स्वयंसेवी संस्थाओं का कृतज्ञ होना चाहिए कि वे अपनी जान हथेली पर रखकर दूसरों की जान बचाने के अभियान में लगे हैं ,हमें उनके इस अभियान को सफल बनाना चाहिए न कि कोरोना पीड़ितों के प्रति अछूतों जैसा व्यवहार कर उन्हें हतोत्साहित किया जाना चाहिए ।
कोरोना ने सबसे ज्यादा नुक्सान अमेरिका का किया है,यहां आज की तारीख तक ३४६४१ लोग मारे जा चुके हैं और ६७८१४४ लोग कोरोना से संक्रमित हैं ।इटली,स्पेन,फ़्रांस और इंग्लैंड ने भी कोरोना से काफी नुक्सान उठाया है लेकिन वहां कोरोना मरीजों के प्रति समाज का रवैया आज भी संवेदनशील बना हुआ है और हम हैं कि मात्र ४४८ लोगों की कुर्बानी देकर ही हांफने लगे हैं ।कोरोना के खिलाफ लड़ाई फिलहाल अनंत है,पता नहीं कब हम इस पर विजय पाएं ,लेकिन बिना लडे ही हारने के बजाय हमें लड़ना और विजय हासिल करना है ,ये तभी सम्भव है जब हम उदार बने रहें,संवेदनशील बने रहे ।मै तो कहता हूँ कि जैसे कोरोना को छिपाना और फैलाना अपराध घोषित किया गया है ठीक उसी तरह कोरोना के मरीजों के प्रति असभ्य और अछूत व्यवहार को भी अपराधा मान लिया जाना चाहिए ।
@ राकेश अचल
कोरोना हुआ है ,जात से मत डालो **राकेश अचल **