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देश में महामारी बन कर दुनिया में आतंक फैला रहे कोरोना वायरस के आक्रमण को रोकने के लिए देश में 21 दिन के सम्पूर्ण लाकडाउन के दौरान स्वास्थ्य दलों पर पथराव और तब्लीग में शरण लेने वाले 900 से अधिक जमातियों का वीजा रद्द करने की कार्रवाई से इस महायुद्ध को धक्का लगा है ।सरकार की नीयत साफ़ है फिर भी लोग कोरोना के घातक प्रहार को समझने के लिए तैयार नहीं है ,इसे सख्ती से रोका जाना चाहिए ।
कोरोना के खिलाफ देशव्यापी एहतियात के लिए किये गए लाकडाउन के 9 दिन बीत गए हैं ।इस अवधि में तमाम एहतियात के बावजूद कोरोना संक्रमण और मौतों के बढ़ने का सिलसिला जारी है ।लाकडाउन को लेकर की गयी तैयारियों में नजर आई खामियों के कारण भी इस जंग में जंग लगी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से क्षमा याचना कर उस विषय का पटाक्षेप कर दिया । इस बीच तब्लीगी जमात के शरणार्थियों का मुद्दा सामने आ गया ।जमात में शामिल सैकड़ों लोग कोरोना के संवाहक बनकर पूरे देश में बिखर चुके हैं इसलिए अब खतरा और बढ़ गया है ,दुर्भाग्य ये है कि जमाती सरकार की अपील के बाद भी अपने आप अपनी जांच के लिए बाहर नहीं आ रहे उलटे देश के अनेक हिस्सों में स्वास्थ्यकर्मियों पर जानलेवा हमले करने का कुत्सित प्रयास भी कर रहे हैं ।
कोरोना के खिलाफ जंग में बाधक लोगों को चिन्हित कर उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जरूरत है लेकिन सरकार ऐसी कोई कार्रवाई करने के बजाय जमातियों का वीजा रद्द कर अपना नजला झाड़ रही है ।विदेशों से भारत के जमात जैसे ही दूसरे संगठनों के आश्रमों में बड़ी संख्या में विदेशियों का जमावड़ा है लेकिन सरकार के पास इनकी न तो कोई सूचना है और न उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जा रही है। आपको पता है कि हमारे देश में कितने असली/नकली,सरकारी और असरकारी बाबाओं के कितने बड़े-बड़े आश्रम देश के विभिन्न महानगरों में हैं ,क्या इन सबमें रहने वाले विदेशियों की पूरी फेहरिश्त सरकार के पास है ,शायद नहीं ।हो भी नहीं सकती,क्योंकि जमात में शामिल लोगों के बारे में ही सरकार सोती नजर आयी है और अब झेंप मिटने के लिए कार्रवाई कर रही है ।
केंद्र सरकार मान चुकी है लाकडाउन तोड़कर सड़कों पर निकले हर तीसरे पलायनकर्ता में से एक में कोरोना छिपा बैठा है ,तो फिर जमातियों के पीछे लठ लेकर पड़ने से क्या लाभ ?अभियान में सेंध तो दिहाड़ी के सहारे दिन काटने वाली भीड़ पहले ही लगा चुकी है, जमातियों ने तो आग में घी डालने का काम किया है और वे खुद इसमें हुई भी बन रहे हैं ।जमातियों ने अपने अज्ञान और कटटरता से अपना ही नहीं देश का भी नुक्सान किया है किन्तु सरकार भी हड़बड़ी में है। मै तो कहता हूँ कि कोरोना के खिलाफ जंग में बाधक लोगों के खिलाफ रासुका का इस्तेमाल किया जाये,ये क़ानून आखिर किस दिन काम आएगा ,किन्तु इस अभियान को आगे बढ़ने के लिए सरकार को जितना निष्ठुर होना पडेगा उतना ही पारदर्शी भी ।देश में ये हवा बिक्लुल नहीं बनना चाहिए की कोरोना विरोधी जंग में बाधक केवल एक जाति ,धर्म या वर्ग के लोग ही है ।
मनुष्य्ता को बचने के लिए लड़ी जा रही जंग में कोई सेंधमारी काबिले बर्दाश्त नहीं होना चाहिए ।इस जंग में एक तरफ मुठ्ठीभर सेंधमार हैं तो असंख्य देशवासी भी हैं जो अपने-अपने स्तर पर सरकार की मदद कर रहे हैं,रूपये,पैसे से ही नहीं राशन-पानी और दीगर तरीकों से भी ।इस अभियान में सभी राज्य सरकारों ने शानदार काम किया है ,सबकी सराहना की जाना चाहिए। हमारी पुलिस,डाक्टर ,स्वास्थ्य सेवक और दीगर विभागों का अमला प्राणपण से जुटा हुआ है ,इसलिए जरूरी है कि सरकार अपनी खामिया भी दूर करे और शिकायतों तथा आलोचनाओं को भी गंभीरता से ले ।राजनीति करने के लिए बाद में भी अवसर आएंगे ,अभी तो समय देश की जनता को इस संकट से उबरने का है ।
कोरोना से लड़ाई में महाबली अमेरिका ने भी फसूकर डाल दिया है ।वहां के मुकाबले भारत का प्रदर्शन अबतक काबिले तारीफ़ है लेकिन आने वाले दस-बारह दिनों में भी इसी रफ्तार को कायम रखने की जरूरत है ।बिना इसके इसे जंग को जीतना नामुमकिन है,क्योंकि दूसरे देशों के मुकाबले हमारे संसाधन,हमारी भौगोलिक स्थिति ,अर्थव्यवस्था ,हमारी जनता एकदम अलग है ।ज़रा सी चूक हमारी इस लड़ाई का कचूमर निकाल सकती है ।आइये एक वक्त खाएं लेकिन जब तक सरकार कहती है तब तक अपने घरों में रहें ,न पथराव करें और न रोगग्रस्त होने पर छिपे,छिपाएं ,इलाज कराएं और संक्रमण को फैलने से रोकें ,क्योंकि अभी कोरोना की मुश्कें बाँधने का नुस्खा दुनिया के पास नहीं है ।
@ राकेश अचल
कोरोना :टकराव और पथराव दुर्भाग्यपूर्ण **************