*जाने,ये फर्क है "जाहिलों" और "मानवों" में,क्वारेंटाइन सेंटर में ठहरे मजदूरों की अनूठी पहल -के सी शर्मा*
*स्कूल में कर रहे रंग-रोगन-!*
सीकर- गांव के लोग इतने दिनों से हमारी इतनी अच्छी खातिरदारी कर रहे हैं और हमारी काम की आदत छूट गई तो फिर काम भी नहीं होगा...दिनभर में खाली बैठने से अच्छा है गांव के लिए कुछ करके जाए...।
पलसाना स्कूल में बने पलायन सेंटर में मजदूरों ने इसी सोच के साथ पूरे प्रदेश में नई मिसाल पेश की है।
दरअसल पलसाना कस्बे के शहीद सीताराम कुमावत व सेठ केएल ताम्बी राउमावि में पलायन सेंटर संचालित है।
यहां हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश के 54 मजदूर ठहरे हुए हैं।
सेंटर पर ठहरे मजदूरों ने बताया कि वो मेहनतकश लोग हैं, ठाले बैठे तो बीमार हो जाएंगे।
सरपंच और गांव के भामाशाहों ने हमारे लिए बहुत ही अच्छी व्यवस्था कर रखी है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। बदले में गांव के लिए हम भी कुछ करना चाहते हैं।
ऐसे में स्कूल की पुताई शुरू कर दी है।
शुक्रवार को उन्होंने सरपंच से रंग-रोगन का सामान लाकर देने की मांग की।
सरपंच व विद्यालय स्टाफ की ओर से सामग्री उपलब्ध कराने के बाद मजूदरों ने विद्यालय में रंगाई पुताई का कार्य शुरू कर दिया।
एक तरफ ये मानवता के प्रहरी मजदूर देश को गौरान्वित कर रहे हैं, वही एक तरफ कुछ जाहिल...मानवता को शर्मशार कर रहे हैं...।
कहीं पुलिस को मार रहे हैं, कहीं डॉक्टर को मार रहे हैं उनपर थूंक रहे हैं, पेशाब लोगों पर फेंक रहे हैं, कहीं नर्सों से अभद्र व्यहवार कर रहे हैं...।
कहीं इनके जाहिल नेता ये पूँछकर राशन बांट रहे हैं कि गहलोत अच्छा की मोदी और मोदी को अच्छा बोलो तो राशन नहीं देंगे।
और कुछ जाहिल सोशल मीडिया पर इन जाहिलों को सही सिद्ध करने की घटिया कोशिश कर रहे हैं, इनका समर्थन कर रहे हैं।