सुनील दत्त तिवारी भोपाल| पूरे विश्व के साथ भारत देश और मध्यप्रदेश भी कोरोना नामक वायरस से निर्णायक युद्ध लड़ रहा है।प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी इस अनजाने दुश्मन से डटकर मुकाबला करने में लगे हैं।लेकिन मध्यप्रदेश के नॉकरशाह पता नहीं एमपी को गजब बनाने में क्यों जुटे हैं?24 मार्च को प्रथम चरण के लॉक डाउन की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि इस दौरान संपूंर्ण ताला बंदी रहेगी।शासकीय, अशासकीय,अर्धसरकारी यहाँ तक की निजी सेक्टर से भी उन्होंने आग्रह किया था कि कर्मचारियों को वैतनिक अवकाश दिया जाये।किसी के वेतन भत्तों में कटौती नहीं की जाए।लेकिन लगता है कि पंथ प्रधान यहाँ तक की अपने ही मुख्यमंत्री के आदेश को शायद दरकिनार करने की कोशिश मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक ने करने की ठान ली है।साहब ने 12 अप्रैल से दफ्तर के टेलीफोन से अपने मातहतों को फ़ोन लगवाया।उस दौरान बहुत से कर्मचारियों ने लॉक डाउन के दौरान आये फ़ोन को या तो उठाया नहीं या फिर फ़ोन लगा ही नहीं। फिर क्या था? प्रबंध संचालक ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए।खबर है कि मंडी बोर्ड के 62 कर्मचारी जिनके फ़ोन नहीं लगे या जिन्होंने फ़ोन नहीं उठाया उनके वेतन वृद्धि को रोकने के आदेश जारी किये जाने वाले हैं।एक् खबर यह भी है कि एमडी ने लॉक डाउन के दौरान भी अनेक कर्मचारियों को मुख्यालय बुलाकर उनसे काम कराते हुए सोशल डिस्टैंसिंग का पालन नहीं कराया गया।वैसे प्रदेश सरकार ने गेंहू उपार्जन के आदेश तो दिए हैं और इसके लिए जिला स्तर पर विभाग की तैयारी है लेकिन मुख्यालय में आज भी बिना सैनिटाइजर और दूरी के काम कराया जा रहा।प्रबंध संचालक के इन आदेशों की वजह से मंडी बोर्ड के कर्मचारी और अधिकारी ख़ौफ़ में हैं।
*लॉक डाउन के आदेशों का माखोल उड़ाते मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक