नाई, धोबी, तिहाड़ी मजदूर, हम्माल और आटो-ट्रैक्सी ड्राइवरों पर लाकडाउन की मार 

एक जून की रोटी का संकट भोपाल के 2 लाख छोटे कामगारों पर  
नाई, धोबी, तिहाड़ी मजदूर, हम्माल और आटो-ट्रैक्सी ड्राइवरों पर लाकडाउन की मार 
भोपाल।  रोजाना मजदूरी कर कमाई करने वाला वर्ग सूंपूर्ण लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। भोपाल जिले में करीब 2 लाख से ज्यादा लोगों के सामने एक जून की रोटी का संकट है। ये वह लोग है जो रोजाना मजदूरी कर अपना और परिवार का भरण-पोरण करते हैं। जिसमें नाई, धोबी तिहाड़ी मजदूर, हम्माल और आटो-टैक्सी ड्राइवर शामिल है।  
कोरोना वायरस की वजह संपूर्ण शहर लॉकडाउन होने से शहर के छोटे मजदूर और कामगरों की मुश्किलें बढ़ी है। लॉकडाउन के चलते चाय, पान, छोटे होटल, फुटपाथ पर कपड़ा के व्यवसाई, नाई, धोबी जैसे अन्य व्यवसाय करने वाले लोगों की स्थिति अब पूरी बिगड़ी हुई है। 
आंकडे के अनुसार जिले में निम्न स्तर पर ढाई लाख से ज्यादा कामगार है। जिन्हें रोजाना कमाई कर जीवन यापन करना पड़ता है। कोलार निवासी मोहन सेन ने बताया लाकडाउन की स्थिति दुकान 14 दिनों से बंद पड़ी हुई है। अभी हम घरों में बैठकर सब सामान्य होने की राह देख रहे हैं। वहीं धोबी कैलाश मालवीय के अनुसार जो जमा पूंजी है, उससे काम चला रहे हैं। पैसे न होने के चलते बच्चों के दूध में भी कटौती करनी पड़ रही है। सब्जी व रसोई के अन्य सामानों की परेशानी तो है ही। उन्होंने बताया कि रोजाना बेसिस पर कमाने वाले लोग घर में अनाज इक_ा नहीं लाते। अपनी रोज कमाई के आधार पर राशनए सब्जी और दूध पर खर्च करते हैं।  
- ट्रांसपोर्टर और ड्राइवर दोनों ही परेशान
ट्रांसपोटर ठाकुरलाल राजूपत ने बताया कि उनका मुख्य व्यवसाय तो कच्चे मटेरियल की आपूर्ति का है,लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह काम पूरी तरह से ठप हो गया है। लॉकडाउन के बाद से उनकी सभी गाडिय़ां खड़ी है। मुश्किल यह है कि इस दौरान उन्हें भी रोजाना ड्राइवरों को और क्लीनरों को भत्ता देना पड़ रहा है। इसलिए उन्होंने अब ड्राइवरों और क्लीनरों को जाने को कह दिया है। इससे बड़े पैमाने पर इस तरह के मजदूरों और छोटे कामगारों के सामने रोजी रोजी की दिक्कत हो गई है। 
- 70 प्रतिशत ड्राइवर रोटी के लिए मोहतज 
- ट्रांसपोर्ट व्यवसायी राजेन्द्र सिंह बग्गा के मुताबिक 24 मार्च से लॉकडाउन से वाहनों के पहिए जाम हो गए। इसके साथ बाद 70 प्रतिशत ड्राइवरों के समक्ष रोजी साथ रोटी का सबसे बड़ा संकट अब खड़ा हुआ है। लॉकडाउन ने सबसे पहले नौकरी छीनी गई। ड्राईवर मुकेश के मुताबिक ऐसी स्थिति में जमा पूंजी से मैने एक सप्ताह तक परिवार का भरणपोषण किया गया है। अब संकट ज्यादा हो रहा  है। यही हालत धोबी और नाईयों के घरों में स्थिति बनी हुई है। इस संकट की सूची में हम्माल और मजदूर वर्ग शामिल है। क्योंकि मंडियों और बाजार लाकडाउन है। ऐसे हालात में उनके पास घर में बैठने के अलावा कोई चारा  नहीं है।